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ड्रैकुला 29

 

3 अगस्त
एक और हफ्ता गुज़र गया, और जोनाथन की कोई खबर नहीं मिली, मिस्टर हॉकिंस को भी नहीं, जिन्होंने पहले मुझे खबर दी थी। ओह, उम्मीद करती हूँ कि वह बीमार नहीं होगा। उसने ज़रूर खत लिखा होता। मैं उसके पिछले खत को देखती हूँ, लेकिन किसी कारण उससे मुझे संतुष्टि नहीं मिलती। यह भाषा उसकी नहीं लगती, लेकिन फिर, यह लिखावट उसी की है। इसमें कोई शक नहीं है। पिछले हफ्ते लूसी का नींद में चलना कुछ कम हो गया, लेकिन उसमें एक अजीब सी एकाग्रता दिखती है, जो मुझे समझ नहीं आती। यहाँ तक कि नींद में भी लगता है कि वह मुझे देख रही है। उसने दरवाजा खोलने की कोशिश की, और उसे बंद पा कर पूरे कमरे में चाबी ढूंढती रही।

6 अगस्त

तीन दिन और निकल गये, और कोई समाचार नहीं मिला। यह रहस्य जानलेवा होता जा रहा है। अगर मुझे पता होता कि किसे खत लिखूँ, या कहाँ जा कर पता करूँ, तो मुझे ज़रा आराम होता, लेकिन उस आखिरी पत्र के बाद से किसी को उसकी कोई खबर नहीं मिली है। मैं भगवान से प्रार्थना करती हूँ कि मुझे सब्र दे।

लूसी हमेशा से ज़्यादा उत्तेजनशील है, लेकिन बाक़ी वह ठीक है। पिछली रात बहुत डरावनी थी, और मछुयारों का कहना है कि वे तूफान में फंस गये थे। मैं इस पर नज़र रखूंगी और मौसम के संकेतों को समझूंगी। आज बदली छाई हुई है, और जब मैं यह लिख रही हूँ, केटलनेस पर काफी ऊंचाई पर सूरज घने बादलों के पीछे छुपा हुआ है। हरी घास को छोड़ कर बाक़ी सब स्लेटी लग रहा है, जो इसके बीच पन्ने की तरह चमक रही है, स्लेटी बलुआ चट्टानें, स्लेटी बादल, जिनके किनारे से सूरज की रोशनी झांक रही है— स्लेटी समुद्र पर टंगे हुए हैं, जिस में उभरी हुई रेतीली जगहें स्लेटी आकारों जैसी लगती हैं। उथले रेतीले किनारे पर समुद्र की कोहरे में लिपटी हुई लहरें दहाड़ती हुई अंदर लुढ़कती चली आती हैं। क्षितिज स्लेटी कोहरे में खो गया है। पूरे विस्तार में बादल विशाल चट्टानों की तरह एक के ऊपर एक ढेर हो गये हैं, समंदर में गुर्राहट उठ रही है, जो ऐसी सुनाई देती है, जैसे कयामत आ रही हो। साहिल पर यहाँ-वहाँ काले आकार दिख रहे हैं, जो कई बार कोहरे में खो जाते हैं, और तब आदमी ऐसे लगते हैं जैसे पेड़ चल रहे हों। मछली पकड़ने वाली नावें घर की तरफ भाग रही हैं, और लहरों पर डूबती उतराती बन्दरगाह पर लग रही हैं और स्कूपर की ओर झुक जाती हैं। बूढ़े मिस्टर स्वेल्स आ रहे हैं। वह सीधे मेरी ही तरफ आ रहे हैं, और मैं देख सकती हूँ, रास्ते में वह अपना हैट उठा रहे हैं कि वह बात करना चाहते हैं।

बेचारे बूढ़े आदमी में आये बदलाव को देख कर मेरा दिल धक से रह गया। जब वह मेरे पास बैठ गये, उन्होंने बड़ी ही मुलायम आवाज़ में कहा, “मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ, मिस।”

मैं देख रही थी कि वह बहुत बेचैन थे, इसलिये मैंने उन बेचारे के बूढ़े झुर्रीदार हाथों को अपने हाथों में ले लिया और उनसे कहा कि खुल कर बोलें। तो उन्होंने मेरे हाथों में हाथ दिये-दिये ही कहा—

“मुझे डर है बेटी कि मैं तुम्हें उन सभी शैतानी बातों से चौंका दिया होगा, जो मैंने मरे हुए लोगों के बारे में कही थीं, और ऐसे ही, हफ्ते गुज़र गये, लेकिन मेरा वह मतलब नहीं था, और मैं तुम्हें याद दिलाना चाहता हूँ कि जब मैं चला गया, हम बूढ़े लोग, जो भ्रमित होते हैं, एक पाँव जहाज़ के पावदान पर रखे, इसके बारे में सोचना भी नहीं चाहते, और हम और इसके बारे में बुरा महसूस नहीं करना चाहते, और इसीलिये हम इसे नज़रअंदाज़ करते हैं ताकि हम अपने दिल में थोड़ी खुशी महसूस कर सकें। लेकिन भगवान तुम्हारा भला करे, मिस, मैं मरने से नहीं डरता, ज़रा भी नहीं, लेकिन अगर मेरे बस में हो तो मैं बस मरना नहीं चाहता। मेरा तो अब वक़्त आ ही गया है, क्योंकि मैं बूढ़ा हूँ, और सौ साल किसी के भी जीने के लिये काफी होते हैं। मैं इतना नजदीक आ गया हूँ कि मौत ने पहले ही अपनी कुल्हाड़ी तेज़ करना शुरू कर दी है। देखो, मैं गंजेपन की आदत फौरन छोड़ नहीं पा रहा हूँ। जैसे-जैसे अभ्यस्त होते जाएंगे, जबड़े हिलेंगे। बहुत जल्दी ही मौत का फरिश्ता मेरे लिये अपनी तुरही बाजा देगा। पर तुम दुआ या बददुआ मत देना प्यारी बेटी।” क्योंकि वह देख रहा था कि मैं रो रही थी, “अगर आज की रात वह आता, तो मैं उसकी पुकार का जवाब देने से रुक नहीं पाता। क्योंकि ज़िंदगी बस उसके अलावा और किसी चीज़ का इंतज़ार ही तो है, जो हम कर रहे हैं, और मौत वह है जिस पर हम निर्भर होते हैं। लेकिन मुझे यकीन है कि वह मेरे लिये आ रही है, मेरी प्यारी, और जल्दी ही आ रही है। शायद वह तभी आ जाये, जब हम देख रहे हों, या सोच रहे हों। शायद यह उस हवा में हो, जो समंदर के ऊपर बह रही है, जो अपने साथ नुकसान और तबाही, और दुखदाई मुसीबत और दुखी दिल ला रही हो। देखो! देखो!” वह अचानक चिल्लाया, “उस हवा में कुछ है, और उस आवाज़ के परे की खराश में भी, जिसका रूप, महक और स्वाद मौत की तरह है। वह हवा में है। मैं इसे आते महसूस कर सकता हूँ। भगवान, मुझे खुशी-खुशी बुला ले, मेरा बुलावा कब आ रहा है?”

उसने भक्तिभाव से बाहें उठा लीं, और अपना हैट उठा लिया। वह प्रार्थना कर रहा था तो उसके होंठ हिल रहे थे। कुछ मिनटों की खामोशी के बाद वे उठे, मुझसे हाथ मिलाया और मुझे आशीर्वाद दिया, अलविदा कहा और वहाँ से चले गये। इन सब बातों ने मेरे दिल को छू लिया और मुझे बहुत दुखी कर दिया।

तभी अपना जासूसी शीशा बगल में दबाए तटरक्षक आ गया तो मुझे बड़ी खुशी हुई। वह मुझसे बात करने के लिये रुका, जैसा वह हमेशा करता है, लेकिन पूरा समय वह एक अजीब से जहाज़ को ताकता रहा।

“मैं उसे समझ नहीं पा रहा हूँ,” उसने कहा, “वह रूसी लगता है, दिखता तो वैसा ही है। लेकिन वह अजीब तरीके से डगमगा रहा है। जाने उसे कहाँ जाना है, ऐसा लगता है कि वह तूफान को आता देख रहा है, मगर फैसला नहीं कर पा रहा है कि उत्तर की ओर खुले में जाए, या यहाँ आए। देखो, फिर देखो! वह अजीब ढंग से इधर-उधर मुड़ रहा है। जैसे उसे स्टियरिंग व्हील पर हाथ रखने का होश ही नहीं है, हवा के हर झोंके के साथ दिशा बादल रहा है। हमें कल इसी वक़्त तक इसके बारे में और कुछ पता चलेगा।”

क्रमशः

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