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ओरियन: फ्रेम्स ऑफ़ टाईम

  


ओरियन: फ्रेम्स ऑफ़ टाईम 

ओरियन एक केंद्रीय पात्र है, कहानी के कई प्रमुख पात्रों के बीच, जिसमें एक अलग किस्म का नायकत्व है। उसकी नेतृत्व क्षमता देख कर उसे एक ऐसे मिशन की कमान दी जाती है— जो कुछ और सहनायकों के साथ पृथ्वी के अतीत से लेकर भविष्य तक के एक ऐसे सुधार पर आधारित होता है, जिसकी नाकामी का अर्थ पृथ्वी से संपूर्ण मानवजाति के अंत के रूप में सामने आने वाला था। उनके पास नाकाम होने का विकल्प ही नहीं था और कामयाबी के इकलौते विकल्प पर जूझने के लिये वे सारे बेलिग्रांट्स अपनी जान तक देने को तैयार थे।

उपरोक्त कहानी एक महागाथा है जो अलग-अलग कालखंडों में चलती है और इसकी शुरुआत वर्तमान में एक सोये शहर के जागने के साथ ही एक ऐसे हादसे से दो चार होने से होती है, जिसकी कोई एक्सप्लेनेशन दुनिया में किसी के पास नहीं थी। क्रिसमस पार्टी मना कर देर रात सोया शहर जब उठता है तो बीच चौराहे पर एक ऐसे कटे हुए हाथ के दर्शन होते हैं, जो इंसान का नहीं था बल्कि अलग बनावट का था और किसी ऐसे क्रीचर का था, जो आकार में इंसान के ढाई गुना होना चाहिये— लेकिन ऐसा कोई जीव इस दुनिया में मौजूद नहीं था।

सबसे ज्यादा ताज्जुब की बात यह थी कि देखे जाने के वक़्त उस कटे हुए हाथ की कोशिकाएं ज़िंदा थीं, जो उसके ताजे-ताजे कटे होने का सबूत थीं— लेकिन न ही दुनिया में ऐसा कोई जीव मौजूद था और न ही आसपास मौजूद सीसीटीवी कैमरों में ऐसा कुछ रिकार्ड हुआ था, जो इस घटना को एक्सप्लेन कर पाता। उस हाथ की जांच-पड़ताल में दुनिया भर के बेहतरीन दिमाग़ लगते हैं लेकिन कोई भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाता।

वर्तमान में ही एक वर्ल्डवाईड ऑनलाइन कंपटीशन के ज़रिये ओरियन का का चयन होता है और उसे विजेता के रूप में कुछ और लोगों के साथ एक अलग तरह के कंपटीशन के लिये अतीत के ऐसे कालखंड में पहुंचा दिया जाता है जहां कई राज्यों के बीच आपस में बेतरह खूनखराबा मचा हुआ था— और इसके बावजूद उन्हें एक मिशन को अंजाम देना था, जिसके भरोसे उनकी वास्तविक क्षमताओं का पता चल पाता। उस पूरी टीम में दो लोग तो उस मिशन के पूरा होने में ही जान गंवा देते हैं लेकिन मिशन फिर भी कामयाब रहता है और उनके बीच से ओरियन को लीडर चुना जाता है।

तब उन्हें उस टीम की हकीक़त पता चलती है जो उन पर एक बहुत बड़ा दांव लगा रही थी, पूरी मानव-जाति के सर्वाइवल का। उन्हें तमाम तरह की सूचनाओं से लैस करके उस भविष्य में भेजा जाता है जहा पृथ्वी ही अब वह पृथ्वी नहीं रह गई थी, जिसे वे जानते थे— बल्कि वह धरती अब पूरी तरह किसी और ग्रह के रूप में ट्रांसफार्म हो चुकी थी, जहां इंसान बिना ऑक्सीजन मास्क के ज़िंदा भी नहीं रह सकता था। इंसानों की जगह किसी और ने ले ली थी— जो दुनिया के सारे इंसानों को खत्म कर चुकने के बाद अब उन बचे-खुचे इंसानों को भी खत्म कर देना चाहते थे, जो अभी तक उनके साथ संघर्ष में उलझे हुए थे।

तब उनकी समझ में आ पाता है कि भविष्य इंसानों के हाथ से निकल चुका था और जिनके हाथ में था— उनसे लड़ने या जीतने के लिये वे कतई नाकाफ़ी थे। वे उनसे अतीत में तब ही लड़ सकते थे, जब वे कमज़ोर थे और नये माहौल में इवाॅल्व हो रहे थे… लेकिन इस खोज में जब वे पीछे का सफर करते हैं तो पता चलता है कि उन्हें वे तब ही नज़र आ पाते हैं जब वे पूरी तरह इवाॅल्व हो चुके थे और पृथ्वी का ट्रांसफार्मेशन शुरु हो चुका था। कोई स्टार्टिंग प्वाइंट उन्हें ढूंढे मिलता ही नहीं।

तब उनके पृथ्वी पर आने की घटना को तलाशने की गरज़ से वे समय में लगातार पीछे चलते चले जाते हैं लेकिन कहीं कोई सुराग़ नहीं लगता। यहां तक कि वे उस दौर में भी पहुंच जाते हैं जब होमो सैपियंस ने अपना सफर शुरु किया था, लेकिन फिर भी उनके हाथ कुछ नहीं लगता। फिर वे एक और हैरत से दो-चार होते हैं जब सुराग खोजने की ज़िद में और पीछे चलते चले जाने पर उनका सामना एक प्रलय से होता है, जिसने इस पृथ्वी को वर्तमान स्वरूप दिया था।

लेकिन उस प्रलय से पहले भी एक दुनिया आबाद थी, लोग आबाद थे, दो अलग तरह के पूरे सामाजिक और व्यवस्थागत ढांचे मौजूद थे। समय की बाधा को पार करने के बाद वे इस सवाल का जवाब खोज पाते हैं कि इंसान पृथ्वी का मूल निवासी नहीं था, बल्कि कहीं और से आया था— किसी और ने भेजा था। न सिर्फ उसे, जिसे वे जानते थे बल्कि उसे भी जो पृथ्वी के अतीत के गहरे अंधेरों में हमेशा के लिये दफन हो चुके थे। वहीं उन्हें उनका सुराग भी मिलता है— जिन्होंने उनके देखे भविष्य में पूरी पृथ्वी को ट्रांसफार्म करके उसे वह रूप दे दिया था, जो कभी साइनो बैक्टीरिया के पनपने से पहले इस पृथ्वी का था।

ऑक्सीजन आधारित वातावरण बनने से पहले पृथ्वी पर एक अलग तरह का जीवन था, जिसे ऑक्सीजन ने तबाह कर दिया था। वर्तमान मानव की अलग-अलग प्रजातियों के पनपने से पहले भी पृथ्वी पर दो अलग सभ्यताएं एक साथ, एक ही समय में निवास कर रही थीं— जो तबाही के अवशेषों के नीचे दफन हो गईं। वर्तमान के पार आने वाले भविष्य की नींव भी एक ऐसी ही तबाही पर आधारित थी, जहां ऑक्सीजन आधारित वातावरण खत्म हो कर एक अलग ही शक्ल में ढल जाता है जो मौलिक होते हुए भी एक अलग ही शक्ल-सूरत रखती थी… और लोग तो भविष्य में भी थे, लेकिन न वे प्रीएडमिक सिविलाइजेशन वाले गुमशुदा लोग थे, न ही वर्तमान मानव के वंशज— बल्कि वे अलग ही लोग थे और वे भी हमारी तरह ही कहीं और से आये थे।

अब क्या था समय के उस पार? कैसी थी वह प्रलय, जिसने एक आधुनिक आबादी को खत्म करके पृथ्वी को युगों पहले के दौर में पहुंचा दिया, जहां से मौजूदा इंसानों को वापस एक नई शुरुआत करनी पड़ी? वे कौन लोग थे जो हमारे जाने-पहचाने इंसानी समूहों से भी पहले इस धरती पर मौजूद थे? कौन थे वे जो उस प्रलय के साथ ही हमेशा के लिये अंधेरों में दफन हो गये? और कौन थे वे, जिन्होंने इस दुनिया को बदल कर वापस इसके मौलिक रूप में पहुंचा दिया? उनके साथ बेलिग्रांट्स के संघर्ष का क्या नतीजा निकलता है? क्या वे उस गहरे दफन अतीत में जा कर पृथ्वी का भविष्य बदल पाते हैं?

जानना है तो पढ़िये— पूरे इत्मीनान से पढ़िये। लंबी सीरीज है तो लंबा वक़्त लेगी और दैनिक दो या तीन एपिसोड के रूप में अपलोड होगी।



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