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ड्रैकुला 13

 

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  • इस वक़्त सुबह लगभग हो चुकी थी और हम सोने चले गये थे। (याद॰- यह डायरी भयानक रूप से अलिफलैला की कहानियों की शुरुआत जैसी दिखती है, क्योंकि हर चीज़ सुबह होने के लगभग थम जाती है, जैसे हैमलेट के बाप का भूत)

    12 मई
    तथ्यों से शुरू करता हूँ, नंगे बारीक तथ्यों से— जिनकी किताबों और तसवीरों से पुष्टि होती है, और जिन पर कोई शक की गुंजाइश नहीं है। उन पर मेरे अनुभवों या मेरी यादों का भ्रम न किया जाये, क्योंकि वे बस मेरे अपने अवलोकन पर आधारित हैं। पिछली शाम जब काउंट अपने कमरे से आया, तो उसने शुरुआत मुझसे कानूनी मामलों और एक विशेष प्रकार के कारोबार पर सवाल पूछने से की। मैंने दिन थके हुए अंदाज़ में किताबें पढ़ते हुए गुज़ारा था, और, बस अपने दिमाग को व्यस्त रखने के लिये कुछ मामलों का जायजा लिया था, जिनकी मैं लिंकन इन में रहते हुए छानबीन कर रहा था। काउंट कि पूछताछ का एक खास ढंग था, तो मैं उसे क्रम से लिखने की कोशिश करूंगा। यह ज्ञान कभी न कभी, किसीन किसी रूप में मेरे काम आ सकता है।

    पहला सवाल, उसने पूछा कि क्या इंग्लैंड में कोई व्यक्ति दो या दो से अधिक वकील कर सकता है। मैंने उसे बताया कि अगर वह चाहे तो दर्जन भर वकील कर सकता है, लेकिन एक लेन-देन के लिए एक से ज़्यादा वकील करना अक्लमंदी नहीं होगी— क्योंकि एक समय में बस एक ही काम कर पायेगा, और उन्हें बदलना निश्चित रूप से उसके हित में नहीं होगा। उसने ध्यान से सुना और समझा और फिर पूछा कि क्या घर से दूर किसी स्थान पर स्थानीय मदद की आवश्यकता पड़ने पर, इसमें कोई व्यावहारिक दिक्कत आयेगी? यदि एक आदमी को, मान लीजिये कि बैंक के कामों में लगाया जाये, और दूसरे को शिपिंग के कामों में।

    मैंने थोड़ा खुल कर समझाने को कहा, ताकि मैं उसे किसी तरह गुमराह न कर दूँ, तो उसने कहा—

    “मैं समझाता हूँ। आपके और मेरे दोस्त एम पीटर हॉकिंस, एक्सेटर में आपके सुंदर गिरजाघर की छाया में, जो लंदन से बहुत दूर है, लंदन में आपके माध्यम से मेरे लिये जगह खरीदते हैं। अच्छा! अब यहाँ मैं स्पष्ट रूप से कह दूँ, कहीं ऐसा न हो कि आपको यह अजीब लगे कि मैंने यहाँ के किसी स्थानीय निवासी के स्थान पर इतनी दूर लंदन से किसी व्यक्ति की सेवाएँ क्यों माँगी हैं— क्योंकि मेरा उद्देश्य यह था कि केवल मेरी इच्छा के अलावा कोई स्थानीय हित पूरा न हो, और चूंकि लंदन के एक निवासी का, शायद, स्वयं या मित्र की सेवा करने का कोई उद्देश्य हो सकता है। मैंने अपने एजेंट की तलाश इस प्रकार की— जिसकी मेहनत बस मेरे हित में हो। अब, मान लीजिए कि मैं, जिसके पास बहुत सारे काम हैं— कोई सामान, मान लो, न्यूकैसल, या डरहम, या हार्विच, या डोवर को भेजना चाहता हूँ, तो क्या ऐसा नहीं हो सकता है कि इसे इन बंदरगाहों में से किसी एक पर भेज कर इसे और अधिक आसानी से किया जा सके?”

    मैंने जवाब दिया कि निश्चित रूप से यह सबसे आसान होगा, लेकिन हम वकीलों का एक एजेंसी का तंत्र है, ताकि स्थानीय काम किसी भी वकील के निर्देश पर स्थानीय रूप से किया जा सके— ताकि ग्राहक, बस एक आदमी पर निर्भर रहे, जो बिना किसी परेशानी के अपने द्वारा उसकी इच्छाओं पूरा कर सकता था।

    “लेकिन,” उसने कहा, “मैं अपनी योजनाएँ बनाने के लिये स्वतंत्र रहूँगा, है ना?”

    “बिलकुल।” मैंने जवाब दिया— “कारोबारी लोग अक्सर ऐसा करते हैं, जो नहीं चाहते कि उनके सारे मामलों की बस किसी एक आदमी को खबर लगे।”

    “बढ़िया।” उसने कहा, और फिर वह खेप बनाने के साधनों के बारे में— और जिन प्रक्रियाओं से हो कर गुजरना पड़ेगा, उनके बारे में— और जो भी कठिनाइयाँ आ सकती थीं, जिनके खिलाफ पहले से विचार कर के बचाव किया जा सकता था, उनके बारे में पूछने लगा।

    मैंने अपनी योग्यतानुसार उनका अच्छे से अच्छा जवाब दिया और उसने मेरे ऊपर गहरा प्रभाव छोड़ा कि मैं सोचने लगा कि वह अगर वकील बना होता तो बहुत अच्छा वकील होता। क्योंकि ऐसा कुछ भी नहीं था जिसके बारे में उसने सोचा या अनुमान नहीं लगाया था। एक ऐसे व्यक्ति के लिये जो कभी उस देश में कभी नहीं गया था, और जो स्पष्ट रूप से व्यापार के रास्ते में ज़्यादा कुछ नहीं करता था— उसका ज्ञान और कौशल अद्भुत था। जब वह इन बिन्दुओं पर संतुष्ट हो गया, और मैंने उपलब्ध किताबों से जितना हो सकता था बातों की पुष्टि कर दी, तो वह अचानक खड़ा हो गया और मुझसे पूछने लगा—

    “क्या आपने अपने पहले पत्र के बाद से हमारे दोस्त पीटर हॉकिन्स या किसी अन्य को कोई पत्र लिखा है?”

    मेरे मन में थोड़ी कड़वाहट थी, तो मैंने जवाब दिया कि अब तक मुझे किसी को कोई पत्र भेजने का कोई मौका नज़र नहीं आया है।

    “तो अभी लिखिए, मेरे जवान दोस्त।” उसने मेरे कंधे पर अपना भारी हाथ रखते हुए कहा— “हमारे दोस्त को भी लिखिये, और जिसको भी चाहें, लिखिये, और अगर आपको अच्छा लगे तो लिख दीजिये कि आप अब से एक महीने बाद तक मेरे साथ रहेंगे।”

    “क्या आप चाहते हैं कि मैं इतने दिन तक रहूँ?” मैंने पूछा— क्योंकि मेरा दिल यह सोच कर ही ठंडा पड़ गया।

    “मैं बहुत ज़्यादा चाहता हूँ— नहीं, मैं ना नहीं सुनूंगा। जब आपके मालिक, नियोक्ता, जो भी आप मानते हों, ने व्यवस्था की कि उनकी जगह कोई आ जाये, तो समझा जा सकता है कि वह मेरी ही जरूरतों को पूरा करना चाहते थे। तो मैं ने भी कंजूसी नहीं की। है ना?”

    मैं हामी भरने के अलावा और कर भी क्या सकता था? इसमें मिस्टर हॉकिंस की दिलचस्पी थी, मेरी नहीं— और मुझे उनके ही बारे में सोचना पड़ा, अपने बारे में नहीं, और इसके अलावा जब काउंट ड्राक्युला बोल रहा था, तो उसकी आँखें भी बोल रही थीं, और उसकी भाव-भंगिमा भी बोल रही थी— जिसने मुझे याद दिला दिया कि मैं एक क़ैदी हूँ, और अगर मैं चाहूँ भी तो मेरे पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है। काउंट को मेरे झुकने में अपनी जीत नज़र आई और मेरे चेहरे पर छाई परेशानी में अपना स्वामित्व— क्योंकि उसने फौरन ही उनका इस्तेमाल शुरू कर दिया, लेकिन अपने सहज, प्रतिरोध विहीन तरीके से।

    “मैं आपसे विनती करता हूँ, मेरे अच्छे जवान दोस्त, कि आप अपने पत्रों में कारोबार के अलावा और किसी चीज़ का ज़िक्र न करें। बेशक आपके दोस्तों को यह पता चलने पर खुशी होगी कि आप ठीक हैं, और जल्दी ही उनके पास, अपने घर लौटने वाले हैं। है ना?” बोलते हुए उसने मुझे तीन कागज और तीन लिफाफे दिये।

    ये सभी बारीक विदेशी कागज के बने थे। मैंने उन्हें देखा और फिर काउंट को देखा— उसकी खामोश मुस्कुराहट पर ध्यान दिया, जिससे उसके पैने कैनाइन दिख रहे थे, जो उसके लाल निचले होंठों पर रखे थे। जब वह बोला, तो मैं समझ गया कि मुझे बड़ी सावधानी से तय करना पड़ेगा कि मैं क्या लिखूँ, क्योंकि वह उसे पढ़ लेगा। तो अब मैंने सिर्फ औपचारिक पत्र लिखने का फैसला किया, लेकिन मिस्टर हॉकिन्स को पूरी तरह से गुप्त रूप से लिखूंगा, और मीना को भी। उसके लिये मैं शॉर्टहैंड में लिख सकता हूँ, जो अगर काउंट देखेगा, तो उसके लिये पहेली जैसा होगा।

    जब मैं ने अपने दो पत्र लिख लिये तो मैं एक किताब पढ़ने लगा, जबकि काउंट ने कई पत्र लिखे। जब वह पत्र लिख रहा था तो मेज़ पर रखी किताबों से कुछ संदर्भ भी लेता जा रहा था। फिर उसने मेरे पत्र लिये और उन्हें अपने पत्रों के साथ वहीं कलम दवात के पास रख दिया, इसके बाद जब वह गया और अपने पीछे दरवाजा बंद करता गया, तो मैंने आगे झुक कर पत्रों पर नज़र डाली, जो मेज़ पर उल्टे कर के रखे गये थे। इन हालात में मुझे ऐसा करने में कोई झिझक महसूस नहीं हुई, क्योंकि मुझे लगता है, मुझे जैसे संभव हो, अपनी रक्षा करनी चाहिये।

    क्रमशः
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