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ड्रैकुला 27

 


डॉ॰ सीवर्ड की डायरी

5 जून

जैसे-जैसे मैं रेनफील्ड को समझता जा रहा हूँ, उस आदमी का केस और भी दिलचस्प होता जा रहा है। उसमें कुछ विशिष्ट गुण अच्छे पैमाने पर विकसित हो गये हैं; स्वार्थ, गोपनीयता और उद्देश्य। काश मैं जान पाता कि उसके उद्देश्य का लक्ष्य क्या है। लगता है कि उसने अपनी ही कुछ योजनाएँ बना रखी हैं, लेकिन वे हैं क्या, यह मैं नहीं जानता। उस का एक गुण जानवरों से प्यार है, हालांकि, अभी भी, उसमें इतने अनोखे मोड़ आते रहते हैं कि मुझे कभी-कभी लगता है कि वह बस असामान्य तौर पर क्रूर है। उसके पालतू जानवर भी अजीब हैं। अभी उसे मक्खियाँ पकड़ने का शौक हुआ है। इस समय इसके पास इतनी मक्खियाँ जमा हो गई हैं, मुझे खुद को समझाना पड़ा। ताज्जुब की बात है, जैसी मुझे उम्मीद थी, वह गुस्से में नहीं आया, बल्कि इस मामले को साधारण गंभीरता से लिया। उस एक पल के लिये सोचा, और फिर कहा, “क्या मुझे तीन दिन का समय मिल सकता है? मैं उन्हें हटा दूंगा।”

"बेशक।" मैंने कहा कि चलेगा। मुझे उस पर नज़र रखनी पड़ेगी।

18 जून

अब उसने मकड़ियाँ पालने का फैसला किया है, और एक बक्से में बहुत सारी मकड़ियाँ जमा कर ली हैं। वह उन्हें अपनी मक्खियाँ खिलाता है, और उनकी संख्या तेज़ी से कम होती जा रही है, हालांकि वह अपना आधा खाना कमरे के बाहर से और मक्खियों को आकर्षित करने में खर्च कर देता है।

1 जुलाई

अब उसकी मकड़ियाँ भी उतना ही बड़ा सिरदर्द बनती जा रही हैं, जैसे उसकी मक्खियाँ थीं, और आज मैंने उससे कह दिया कि वह इनसे छुटकारा पा ले। इस पर वह बहुत दुखी हो गया, तो मैंने उससे कहा कि उसे कुछ को तो हटा ही देना चाहिए। इस पर वह खुशी-खुशी राज़ी हो गया, और मैंने उसे उन्हें हटाने के लिये उतना ही समय दे दिया, जितना पहले दिया था। जब मैं उसके साथ था तो उसने बड़ी घिनौनी हरकत की, कि जब किसी सड़े हुए जानवर को खा कर फूली हुई एक भयानक मांस मक्खी कमरे में भिनभिनाई, उसने उसे पकड़ लिया, कुछ पलों तक बड़े गर्व से उसे अपनी चुटकी में लिये रहा, और इससे पहले कि मैं समझ पाता कि वह क्या करने जा रहा है, उसे अपने मुंह में डाला और खा गया। मैंने इसके लिये उसे डांटा, लेकिन वह शांति से बहस करता रहा कि यह बहुत अच्छी थी, बेहद पौष्टिक थी, कि यह एक ज़िंदगी थी, मजबूत ज़िंदगी, और उसने उसे ज़िंदगी बख्शी। इससे मुझे एक विचार आया, या विचार का आरंभ हुआ। मुझे देखना चाहिये कि वह अपनी मकड़ियों से छुटकारा कैसे पाता है। ज़रूर उसके दिमाग में कोई बड़ी समस्या है, क्योंकि वह एक छोटी सी नोटबुक रखता है, जिसमें वह हर समय कुछ लिखता रहता है। उसके सभी पन्ने आंकड़ों से भरे पड़े हैं, सामान्यतः एकल संख्याएँ, जिन्हें समूह में जोड़ा गया है, और फिर जोड़ों को फिर से समूहों में जोड़ा गया है, जैसे वह कोई खाता बना रहा है, जैसे लेखा-परीक्षक लिखते हैं।

8 जुलाई

उसके पागलपन में एक पद्धति है, और मेरे दिमाग में पैदा हुआ विचार विकसित हो रहा है। जल्दी ही यह विचार सम्पूर्ण हो जायेगा, और फिर, ओह, अवचेतन का जश्न, आपको अपने चैतन्य भाई को दीवार की ओर चलने देना चाहिये। मैं अपने दोस्त से कुछ दिनों के लिये दूर रहा, ताकि मैं जान सकूँ कि क्या उसमें कोई परिवर्तन होता है। चीज़ें वैसी ही रहीं, बस वह अपने कुछ पालतुओं से अलग हो गया और एक नया जानवर ले आया। उसने एक गौरैया पाल ली है, और पहले ही आंशिक रूप से उसे साध लिया है। साधने के उसके तरीके साधारण है, क्योंकि मकड़ियाँ पहले ही कम होने लगी हैं। जो बची-खुची हैं, वे खूब तंदुरुस्त हो गई हैं, क्योंकि अभी भी वह अपने खाने से ललचा कर मक्खियों को जमा करता है।

19 जुलाई

हम तरक़्क़ी कर रहे हैं। मेरे दोस्त के पास और गौरैयों की पूरी कॉलोनी इकट्ठी हो गई है, और उसकी मक्खियाँ और मकड़ियाँ लगभग विलुप्त हो चुकी हैं। जब मैं अंदर पहुंचा, वह दौड़ कर मेरे पास आया और कहने लगा कि क्या मैं उसके ऊपर एक एहसान कर सकता हूँ, बहुत बहुत बड़ा एहसान। और बोलते समय वह कुत्ते की तरह मेरे सामने दुम हिला रहा था। मैंने उससे पूछा कि कैसा एहसान तो बेहद उत्साह भरे स्वर में उसने कहा—

“बिल्ली का एक बच्चा, अच्छा सा, छोटा सा, प्यारा सा, चंचल बच्चा, जिससे मैं खेल सकूँ, और सिखा सकूँ, और खिला सकूँ, बहुत सारा खाना खिला सकूँ, बहुत सारा।”

मैं इस मांग के लिये तैयार ही था, क्योंकि मैंने ध्यान दिया था कि कैसे उसके पालतू जानवर मोटे-ताज़े होते जाते हैं, लेकिन मुझे परवाह नहीं थी कि उसकी साधी हुई गौरैयों का परिवार का भी उसकी मक्खियों और मकड़ियों की ही तरह सफाया हो जाये। तो मैंने कहा कि मैं इस पर विचार करूंगा, और उससे पूछा कि क्यों न उसे बिल्ली के बच्चे की बजाय एक बिल्ली दे दी जाये।

उसकी उत्सुकता उसे धोखा दे गई, क्योंकि उसने जवाब दिया, “ओह, हाँ, मुझे बिल्ली ही चाहिये, मैंने बच्चे की मांग की थी कि कहीं ऐसा न हो कि आप बिल्ली देने से मना कर दें। लेकिन बिल्ली का बच्चा देने से तो कोई माना नहीं करेगा, है ना?”

मैंने अपना सर हिलाया और कहा कि फिलहाल तो यह मुमकिन नहीं है, लेकिन मैं इस पर विचार करूंगा। उसका चेहरा लटक गया, और मुझे उस पर खतरे की एक चेतावनी दिखाई पड़ी, क्योंकि वह अचानक गुस्से में तिरछी नज़रों से देखने लगा, जिसका अर्थ था हत्या। यह आदमी अविकसित हिंसक पागल है। मैं उसकी वर्तमान तलब की परीक्षा लूँगा और देखुंगा कि यह कैसे काम करती है, तभी मुझे और कुछ पता चलेगा।

रात के 10 बजे— मैं फिर से उससे मिला और पाया कि वह अपने विचारों में डूबा एक कोने में बैठा है। जैसे ही मैं अंदर पहुंचा, वह मेरे सामने अपने घुटनों पर आ गया और गिड़गिड़ाने लगा कि मैं उसे एक बिल्ली दे दूँ, कि उसकी मुक्ति इस पर ही निर्भर है। मैं दृढ़ था, इसलिए उसे बता दिया कि उसे बिल्ली नहीं मिल सकती, इस पर वह बिना कुछ बोले चला गया, और उसी कोने में, जहां मैंने उसे पाया था, बैठ कर अपनी उंगलियाँ कुतरने लगा। मैं कल सुबह-सुबह ही उससे मिलूंगा।

20 जुलाई

मैं बहुत सुबह रेनफील्ड से मिलने गया, अभी अटेंडेंट भी अपने दौरे पर नहीं आया था। मैंने पाया कि वह जाग रहा था और कोई धुन गुनगुना रहा था। वह खिड़की पर शक्कर फैला रहा था, जो उसने बचा कर रखी थी, ज़ाहिर है कि वह मक्खी पकड़ना दोबारा शुरू कर रहा था और उसे खुशी-खुशी शुरू कर रहा था। मैंने चारों ओर ढूंढा मगर मुझे उसकी चिड़ियाँ नहीं मिलीं, उससे पूछा कि वे कहाँ गईं। उसने बिना मुड़े जवाब दिया, कि वे सब उड़ गईं। कमरे में कुछ पर फैले हुए थे और उसके तकिये पर खून की एक बूंद पड़ी थ। मैं कुछ नहीं बोला, लेकिन जा कर कीपर को बोला कि पूरे दिन में अगर उसके साथ कुछ भी अजीब घटित हो तो मुझे खबर करे।

क्रमशः

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