Header Ads

मुझे मौत चाहये

 

मुझे मौत चाहिये

अभी आधे घण्टे पहले पुरानी वाली ब्रेकअप कर गई ... अच्छा ही हुआ वरना थक गया था मैं 3 साल से एक ही गुब्बारे में हवा भरते-भरते ....
टेस्ट बड़ी चीज है ...उसमें अब स्वाद नही था ... वो अपनी आधुनिकता खो चुकी थी उसमें शार्ट रेम थी और स्पेस भी मेरी आउटडेटेड और ओल्ड मेमोरीज से भरा हुआ था ...
उसमें न काबिलियत थी और न न्यू फीचर डाऊनलोड करने की कैपेसिटी .... मैंने कई बार उससे आग्रह किया था कि तुम मॉडर्न बनकर रहा करो ..
कौन पहनता है बे अब सलवार -सूट ... और वो भी बिना इस्त्री किया हुआ ... ?
बागी निवेदन पुनः किया था कि तुम जीन्स पहनो और वो भी चुस्त वाली ... टॉप डालो जिसमें आस्तीन न हो ... और तुम्हारी नाभि दिखे....
वो गोरी थी ...लेकिन उसमें शऊर नही था सँवरने का ... उसकी हेयर स्टाइल भी फनी थी आज के युग मे चोटी कौन बांधता है बे ...?
लंबे थे बाल उसके लेकिन कभी उसने जुल्फों की घटा नही खोली कभी उसने मुझे भी कुछ खोलने नही दिया ...

किस करने का कोई तमीज नही ...बच्चों वाला चुपड़ा हुआ चुम्बन करके हट जाना ये उसका शगल था ...
मैं चाहता था वो मुझसे अर्द्ध रात्रि में फोन सेक्स करें लेकिन वो हमेशा मेरे करियर ..मेरी पढ़ाई... मेरी माँ , मेरा परिवार और मेरे स्वास्थ्य के बारे में ही बाते करना पसंद करती थी ।।
कभी कोई हॉट टॉपिक छेड़ भी दूँ तो उनके मोबाईल की बैटरी एम्प्टी होने लगती थी ...उनका बाप आ जाता था ...उन्हें नींद आने लगती थी ।।
दरअसल मुझे शर्म आती थी उसे अपनी गर्ल फ्रेंड कहने में ...जब वो मेरी बाईक में मेरे पीछे बैठती तो स्पेस बनाकर ...कभी किसी किनारे में जोश में आकर बाँहों में भर लूँ तो वो पूरा जोर लगाकर अपने को मुक्त कर लेती थी ।।।
सिगरेट मेटे लुक को कूल बनाती है लेकिन वो सिगरेट को लेकर बस ज्ञान ही पेलती थी और इतने सारे लिंक सेंड करती जिसमें सिगरेट इंज्यूरिस टू हेल्थ वाला टुच्चा ज्ञान भरा होता था ।।।
उसे मेरे दोस्त भी इग्नोर करते थे ...वो जब अपनी कास्टिंग काऊच वाली हॉट गर्ल फ्रेंड का जिक्र करते तो उतनी ही गाली मैं इस पनोती को देता जो मेरी जिंदगी में किसी जोंक की तरह चिपक गई थी।।
उसे आई. ए .एस बनना था और मुझे एक मॉडल .... कोई मेल ही नही था हमारा .. न जाने किस मनहूस घड़ी में मैंने उसकी कॉलेज में हेल्प कर दी और वो मुझपर फिदा हो गई ...
मैंने भी सोचा काम -चलाने के लिए रख लेता हूँ ...बाकि नाक -नक्शा भला है और जो भला नही उसे मैं भला और बड़ा बना दूँगा ....
मेरी लाईफ का सबसे बड़ा बेरियर बन गई थी वो... मेरे घर में आना- जाना भी शुरू कर दिया था उसने ..मेरी माँ को उसमें बहू दिखने लगी थी और मुझे उसमें एक ठंडी और बे जोशीली औरत ...
मेरी जिंदगी का फ्रस्टेशन बढ़ने लगा था ... क्यूँकि मेरी फिजिक और स्मार्टनेस गिरने लगी थी और उसकी वजह थी मेरी ऐल्कॉहॉलिक संगत और आदत ...
लेकिन मैंने अपने मर्दाने तेवर को जंग नही लगने दिया और हर उम्र और हर रूप मेरे नीचे से होकर गुजरा ...
फिर मेरी जिंदगी में आई .. नीरजा ...आई लव नीरजा ... नीरजा जितनी हसीन थी उतना ही सेंस ऑफ ह्यूमर था उसके अंदर ...वो सिर्फ इंजॉय को लाईफ मानती थी और मैं उसको ।।
हमारे चर्चे उस सड़ी और ह्यूमरलैस पकेली को भी पता चले और उसने मुझे व्हाट्सएप्प मेसेज के माध्यम से समझाना शुरू कर दिया ...क्यूँकि उसकी वॉइस कॉल को मैंने कॉल रिजेक्ट में डाल दिया और अब उसे सोशियल मीडिया के हर प्लेटफार्म पर भी ब्लॉक कर दिया ...
अभी से आधे घण्टे पहले उसने मुझे ग्लोबल पार्क में नीरजा संग दबोच लिया और बोली -
" डरो मत ! झिझको मत ! मैं यहाँ कोई बखेड़ा खड़ा करने नही आई बल्कि ये बताने आई हूँ कि मैं आज दिल्ली जा रही हूँ लेकिन तुम्हे खुद से मुक्त करके ... मैं आज अपने जीवन की सबसे बड़ी भूल सुधारने आई हूँ ... मैंने तुम्हे अब तक सिर्फ प्यार दिया लेकिन अब तुम्हे अकेलापन देकर जा रही हूँ ..हमेशा का ...बिल्कुल घना अकेलापन ... बाय "
बाय ऐसे बोल गई जैसे इसके बाद कभी अपनी मनहूस शक्ल दिखायेगी ही नही ...मैं जानता हूँ कि जिस्म रूह के बिना रह सकता है चल सकता है लेकिन ये साढ़े साती मेरे बिना एक पल नही रह सकती ...
क्यूँकि मुझ जैसे हैण्डसम और कूल लड़का इस फूल को साढ़े सात जन्मों में भी प्राप्त नही होगा ।।
और अप्राप्त का ज्ञान नही मुझे लेकिन मुझे ज्ञात है कि जिसको मैंने ठुकरा दिया उसको फिर भगवान भी सहारा नही देता ।
कुछ डेढ़ हफ्ता बीत गया पनोती की शक्ल देखे मैं निश्चिन्त हो गया कि इस बार शायद ब्रेकअप लगभग तय है ... लेकिन मेरी जीवन मे कनेक्टिविटी जारी रही नीरजा का भरपूर सेवन करने के उपरांत फिर मुझे शालनी मिली .. आलिया और डोली भी और ये सिलसिला लगभग दौड़ता ही रहा ।
लिम्का बुक में मेरा नाम होना चाहिए कि मैंने इस पृथ्वी में सबसे ज्यादा मादाओं को अबॉर्शन के लिए उकसाया ..बहकाया ..फुसलाया ..धमकाया और प्रेरित भी किया है ......
मेरी शक्ल और शरीर मैं चर्बी बढ़ने लगी ...अल्कोहॉल और सिगरेट ने मेरा रेट फिक्स कर दिया ... मतलब वो रेट जो एक सड़कछाप टुच्चे का होता है ...अब जीवन मे बहारे कम हो गईं ...
माँ भी इस बीच मेरी चिंता में चिता पर लेट गई ....बाप ने मेरी हरामखोरी और निठल्ले पन को एक लात मारकर घर से बाहर कर दिया ।।।
दोस्ती ने पिछवाड़ा दिखाना शुरू कर दिया और दुकानदारों ने पुराना बिल ....
कल का सबसे जबर हैण्डसम आज वक्त का सबसे बड़ा नासूर दिखने लगा ...लड़की तो छोड़ो कोठे की रंडी भी मुझको अब सीरियस नही लेती ...
मेरी जिंदगी वाकई एक रंडीखाने में तब्दील हो गई ...पता ही नही चलता कल जिंदगी क्या मंजर दिखायेगी ..... जिस्म से कर्री बू आने लगी और मेरे कपड़े और किरदार से लोगों को घिन .....
अंग्रेजी का जाम पहले देशी में बदला फिर अपना पेशाब ही मुझे शराब लगने लगा ..... महँगी सिगरटों से कब चूसी हुई बीड़ी की ठुड्डीयों में सिमट गया पता ही नही चला ...
मुँह में कपड़ा ढाँक कर होटलों के बर्तन धोने लगा तो कभी शादी -बारातों के ।।।।
शाम अक्सर देशी शराब के ठेके के बाहर गुजरने लगी ...क्यूँकि यहाँ तरस आने पर शराबी , शराब की कुछ बूँदें हलक के नीचे उतवार देते ।।।
आज वो बहुत जोर से याद आती जो सिर्फ कभी मुझे ही याद करती थी ...जिसकी मैं आदत और फिक्र था ...जो मुझे सच्चे मन से प्रेम करती थी जो मुझे चाहती थी लेकिन मुझसे कुछ नही चाहती थी ....
मैं धीरे -धीरे अपने ही जिस्म में पिघलने लगा था .... मुझे मेरा शरीर खाने लगा था ..मैं मरने से पहले सिर्फ एक बार उससे मिलना चाहता था जो मुझे तब छोड़ गई जब मेरे पहलू में सब कुछ था ....
आज जब मेरे पास कुछ भी नही बचा तब लोग मुझे छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं और यही तो निजाम है दुनिया का .....
उस दिन जब एक होटल में थाली -गिलास धो रहा था तब अचानक उस होटल में रेड पड़ी ......
अफरा -तफरा मच गई चारों तरफ ...मैं भी अपनी बुझी और खस्ता टांगों से बाहर निकला लेकिन फिर टकराया ...और जमीन पर गिर गया ....मेरे सर पर दुशाला थी ... लेकिन सामने जो व्यक्तिव सूरज की तरह चमक रहा था उसमें तीक्ष्ण आभा थी ...
वो आभा वो कांति जो मेरी आँखे चुँधियाने लगी ...मैंने पुनः उस चेहरे को देखने की कोशिश करी ..और जब वो चेहरा साफ नजर आया तब मेरी रूह मेरे जिस्म में फड़फड़ाने लगी।।।
सामने आभा सिंह खड़ी थी ...वो आभा सिंह जो कभी मुझे सिर्फ मुझे चाहती थी ।।
वो आभा सिंह जिसके चारों तरफ एक रेला एक उबाल था ...हर सलाम हर सम्मान उसके लिए मचल रहा था ... जो वाइट शर्ट और ब्लू जींस में ऐसी लग रही थी जैसे दूध में किसी ने केसर का रेशा घोल दिया हो ...
वो जिसमें न मात्र हुश्न था बल्कि रुतबा भी था .... जिसकी एक आवाज पर होटल का मालिक उसके कदमों में रेंगने लगा ...
जिलाधिकारी आभा सिंह अपने सपने को साकार कर के मेरे सामने खड़ी थी ....मैं उसको पहचान गया था लेकिन उसकी नजर में अब मेरी औकात किसी चूंटी से कम नही थी .... मेरे जिस्म की बदबू ..वक्त से पहले चढ़ा बुढ़ापा ... खण्डहर जिस्म ...खिचड़ी भरी दाढ़ी ... और सर पर एक फटा दुशाला ....
हर युवक ..हर आदमी आभा पर फिदा था ... लेकिन वो जिस पर मरती थी वो उसके सामने होकर भी उससे कोसों दूर हो चुका था ...
मैंने अपने चेहरे को शर्म से और ढाँक लिया ताकि आभा मुझपर थूके न .... उसे मेरी असलियत न पता चले ।।।
उसका भरम बना रहे ..उसे पता न चले कि मैं कल का एक हसीन लौंडा आज गटर के सूअर से भी बदतर हो चुका हूँ...
आज पता चला आभा का ट्रैक सही था ...उसका हर मोड़ पर मुझे रोकना ..नसीहत देना ..मुझे वासना और व्यसन से दूर रखना सिर्फ मेरे हित को समर्पित था ... क्यूँकि वो मुझसे वही पुराना प्यार करती थी जो किताबों और अफ़सानों के जिस्म में पैवस्त है ...
मुझे सिर्फ सेक्स चाहिए था ...मेरी मानसिकता सिर्फ उसके कपड़ों तक सिमटी रहती थी ...मुझे शर्म आती थी जिसको अपना कहकर यदि आज मैं उसके साथ खड़ा होता तो ये दुनिया मुझे भी सलाम करती ...अगर उसके साथ बहता उसके साथ चलता तो मेरा भी एक सूरज आसमान में तैर रहा होता .....
मैं वहाँ तक अपने बुझे कदमों से चलता रहा जहाँ तक मुझे रास्ता ले जाये ....... सही कहा है कहने वाले ने जो सच्चे इश्क का नही वो दुनिया का नही ।।
बेवफाई जो शुरू में मजा दे यकीन कीजियेगा ये अंत में माँगी मौत भी नही देती ।।।।
और अब मुझे जिंदगी नही सिर्फ मौत चाहिए लेकिन मुँहमाँगी मौत भी खुद्दारों और वफादारों के हिस्से आती है ।
Written by Junaid Pathan

No comments