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ड्रैकुला 9

 

लाइब्रेरी में मैंने पाया कि वहाँ कई सारी अँग्रेजी की किताबें थीं, पूरी कि पूरी अलमारियाँ उनसे भरी पड़ी थीं, और जिल्द बंधे हुए पत्रिकाओं और समाचार पत्रों के अंक भी थे, यह देख कर मैं बहुत खुश हो गया।

बीच में एक मेज़ अँग्रेजी पत्रिकाओं और अखबारों से लदी हुई थी, हालांकि उनमें से कोई हाल की तारीखों का नहीं था। किताबें अलग-अलग प्रकार की थीं, इतिहास, भूगोल, राजनीतिशास्त्र, राजनीतिक अर्थशास्त्र, वनस्पतिशास्त्र, भूविज्ञान, कानून— सभी इंग्लैंड तथा अंग्रेजों के जीवन, रिवाजों तथा तौर-तरीकों से संबन्धित। यहाँ तक कि यहाँ कुछ संदर्भ पुस्तकें भी थीं, जैसे लंदन की डायरेक्टरी, लाल तथा नीली किताबें, व्हिटकर की जंत्री, सेना और नौसेना की सूचियाँ, और यह देख कर तो मेरा दिल ही खुश हो गया— कानून की सूची।


अभी मैं किताबें देख ही रहा था कि दरवाजा खुला और काउंट अंदर आया। उसने दिल की गहराइयों से मेरा अभिवादन किया, और उम्मीद की कि रात को मैं आराम से सोया होऊंगा। फिर वह कहने लगा—

“मुझे खुशी हुई कि आपको यहाँ का रास्ता पता चल गया। मुझे यकीन है यहाँ आपकी दिलचस्पी की काफी चीज़ें होंगी। ये साथी—” उसने कुछ किताबों पर हाथ रख दिया, “मेरी बहुत अच्छी दोस्त रही हैं, और पिछले कुछ सालों से, जबसे मुझे लंदन जाने का खयाल आया है, तब से इन्होंने मुझे घंटों-घंटों तक खुशी दी है। इनके द्वारा मैं आपके महान इंग्लैंड को जान पाया, और उसको जाना तो उससे प्यार करने लगा। मैं आपके शानदार लंदन की भीड़ भरी सड़कों पर चलना चाहता हूँ, मानवता की हलचल और भीड़ के बीच रहना चाहता हूँ, इसकी ज़िंदगी में, बदलावों में, मौतों में और उस हर चीज़ में शामिल होना चाहता हूँ, जो इसे आकार देती हैं। लेकिन हाय! अभी तक मैं आपकी भाषा को किताबों के जरिये ही जानता हूँ। आपके लिये, मेरे दोस्त— मुझे लगता है कि मैं इसे (भाषा) बोल लेता हूँ।”
“लेकिन काउंट,” मैंने कहा— “आप तो बेहतरीन अँग्रेजी जानते हैं, और बोल भी लेते हैं!”

वह गंभीरता से झुका।

“इतने सरहनापूर्ण अंदाजे के लिये आपका शुक्रिया, मेरे दोस्त— लेकिन मुझे डर है कि मैं अपने सफर पर अभी कुछ ही दूर आ पाया हूँ। मैं व्याकरण जानता हूँ और शब्दों से वाकिफ हूँ, इसमें कोई दोराय नहीं, लेकिन अभी भी मुझे बोलना नहीं आता है।”

“फिर भी,” मैं ने कहा— “आप बहुत अच्छा बोलते हैं।”

“ऐसा नहीं है,” उसने जवाब दिया— “खैर, मैं जानता हूँ, अगर मैं आपके लंदन में आया तो मुझे कोई भी अजनबी नहीं समझेगा— लेकिन मेरे लिये इतना ही काफी नहीं है। यहाँ मैं कुलीन हूँ। मैं एक राजसी व्यक्ति हूँ। आम लोग मुझे जानते हैं, और मैं मालिक हूँ— लेकिन अजनबी जगह पर मैं एक अजनबी हूं, जिसकी कोई औकात नहीं है। लोग उसे नहीं जानते, और किसी को न जानने के अर्थ है कि आप उसकी परवाह नहीं करते। अगर मैं भी दूसरों की तरह हूँ तो मैं संतुष्ट हूँ, ताकि कोई मुझे देख कर रुक न जाए, या मेरी बात सुन कर बोलना न बंद कर दे, हा, हा! एक अजनबी! मैं इतने समय से मालिक रहा हूँ कि मैं अब भी मालिक ही रहूँगा, या कम से कम कोई मेरा मालिक नहीं हो सकता। आप यहाँ एक्स्टर के मेरे दोस्त पीटर हॉकिंस के एजेंट बन कर यहाँ मुझे बस मेरी लंदन की जायदाद के बारे में सबकुछ बताने ही नहीं आये हैं। मुझे भरोसा है कि आप कुछ दिन यहाँ मेरे साथ रहेंगे, ताकि हमारी आपसी बातचीत के जरिये मैं अंग्रेजों वाला लहजा सीख सकूँ। और मैं सीख लूँगा, क्योंकि जब भी बोलने में मैं कोई ग़लती करूँ तो आप मुझे टोकेंगे, भले ही वह कितनी भी छोटी से छोटी ग़लती क्यों न हो। माफ कीजियेगा, आज मुझे बहुत देर तक बाहर रहना पड़ा, लेकिन मैं जानता हूँ, आप एक ऐसे शख्स को ज़रूर माफ कर देंगे, जिसके पास करने को इतने सारे महत्वपूर्ण काम होते हैं।”

“बिलकुल,” मैंने कहा कि मैं जितना मुझ से हो सकेगा, मदद करने की कोशिश ज़रूर करूंगा और पूछा कि क्या मैं जब चाहूँ, इस कमरे में आ सकता हूँ— उसने जवाब दिया, “हाँ, ज़रूर।"

और आगे कहा— “आप महल में जहां चाहें, जा सकते हैं, बस उन जगहों को छोड़ कर, जिनके दरवाजों पर ताला लगा है, जहां ज़ाहिर है कि आप जाना भी नहीं चाहेंगे। जो चीज़ जैसी है उसके पीछे कोई कारण है, और अगर आप मेरी आँखों से देख पाते और मेरे जितना जानते तो शायद आप ठीक से समझ पाते।”

मैंने कहा कि मुझे यकीन है कि वह सच कह रहा है, तो उसने आगे कहा—

“हम ट्रांसिलवानिया में हैं, और ट्रांसिलवानिया इंग्लैंड नहीं है। हमारे तौर-तरीके आपके तौर-तरीकों से अलग हैं, और यहाँ आपको बहुत सी अजीब चीज़ें दिख सकती हैं। नहीं? जैसाकि आप अपने अनुभव के बारे में मुझे पहले ही बता चुके हैं, आप जानते हैं कि यहाँ कैसी अजीब चीज़ें हो सकती हैं।”

इससे बातों में और बातें निकाल आईं, और जैसा कि ज़ाहिर था कि वह बात करना चाहता है, शायद बस बात करने की खातिर— तो मैंने उससे उन चीजों के बारे में ढेर सारे सवाल पूछे, जो मैंने अनुभव की थीं, या जो मेरी नज़रों से गुज़री थीं। कभी कभी वह विषय को टाल देता था, या न समझने का नाटक करके विषय को बदल देता था— लेकिन आम तौर पर उसने सभी सवालों का बिलकुल खुल कर जवाब दिया।

फिर जैसे-जैसे समय बीतता गया, और मैं भी थोड़ा खुल गया, मैंने पिछली रात की कुछ अजीब बातों के बारे में पूछा— जैसे उदाहरण के लिये वह कोचवान उन जगहों पर क्यों गया था, जहां उसने नीली लपट देखी थी। तब उसने मुझे बताया कि यह आम मान्यता है कि एक निश्चित रात को, दरअसल वही रात, जो कल थी— जबकि माना जाता है कि सभी बुरी आत्माएँ अनियंत्रित रूप से छा जाती हैं, जहां खज़ाना छुपा होता है, वहाँ ऐसी नीली लपट दिखाई देती है।

“वह खजाना छुपा हुआ है,” वह कहता रहा— “उसी क्षेत्र में, जिससे हो कर पिछली रात आप आये हैं, लेकिन इसमें कुछ संदेह है। क्योंकि यह वही मैदान है, जहां सदियों से वलाच, सैक्सन, और तुर्कों के बीच जंग होती रही है। इस क्षेत्र में शायद ही ऐसी कोई एक फुट ज़मीन भी हो, जो आदमियों, देशभक्तों या घुसपैठियों के खून से सींची न गई हो। पुराना समय बड़ा उथलपुथल भरा रहा है, जब आस्ट्रियाई और हंगेरियाई समूहों में आते थे, और देशभक्त उनसे मिलने के लिये बाहर निकलते थे। आदमी और औरतें, बूढ़े और बच्चे तक, और उनका दर्रे में आने का इंतज़ार करते थे, फिर वे चट्टानों को खिसका कर उन पर क़हर बरसा देते थे। अगर घुसपैठिए जीत जाते थे, तो भी उन्हें कुछ खास नहीं मिलता था, क्योंकि वहाँ जो कुछ भी था, यहाँ की मिट्टी में छुपा दिया गया था।”

क्रमशः

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