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ड्रैकुला 8

 


“मैं बहुत शर्मिंदा हूँ कि गठिया के ज़ोर मारने की वजह से, जिसका मैं पहले से ही मरीज हूँ, मुझे कुछ समय के लिए किसी भी यात्रा से बिलकुल असमर्थ कर दिया है लेकिन मुझे यह बताते हुए बड़ी खुशी हो रही है, कि मैं एक बढ़िया विकल्प भेज पा रहा हूँ, ऐसा कोई, जिस पर मुझे पूरा-पूरा विश्वास है। वह एक जवान आदमी है, जो जोश और प्रतिभा से भरपूर है और बहुत ही वफादार है। वह अक़्लमंद और मितभाषी है और मेरी ही देखरेख में बढ़ा हुआ है। वह वहाँ ठहरते हुए आपकी हर संभव सहायता करेगा और सभी मामलों में आपके निर्देशानुसार काम करेगा।”

काउंट ने खुद आगे बढ़ कर डोंगे का ढक्कन खोला, और मैं बेहतरीन भुने हुए मुर्गे पर फौरन टूट पड़ा। इसके साथ थोड़ी चीज़, एक सलाद और ओल्ड टोके की एक बोतल भी थी, जिसके मैंने दो गिलास लिये— यह मेरा रात का खाना था। जब मैं खा रहा था, उसी दौरान काउंट मुझसे मेरे सफर के बारे में अनगिनत सवाल पूछता रहा और मैंने उसे अपने सारे अनुभवों के बारे में बताया।

अब तक मैंने अपना खाना खत्म कर लिया था और एक कुर्सी खींच कर आग के पास आ बैठा था, और सिगार पी रहा था, जो उसने मुझे दिया था। उसने यह कहते हुए धूम्रपान से मना कर दिया था कि वह धूम्रपान नहीं करता। अब मुझे उसका जायजा लेने का मौका मिला, और मैंने पाया कि उसका रंगरूप बिलकुल विलक्षण है।

उसका चेहरा मजबूत था, बहुत ही मजबूत, नाक पतली, आगे से मुड़ी हुई और ऊपर से उठी हुई थी और उसके नथुने घूमे हुए थे, उसका माथा उठा हुआ और थोड़ा घुमावदार था, और उसकी कनपटियों के बाल विरल थे लेकिन बाक़ी बाल काफी घने थे। उसकी भौहें बहुत घनी थीं, और नाक के ऊपर काफी कुछ मिल गई थीं, उन बाल कुछ उलझे हुए से थे और वे जैसे घुँघराली सी दिखती थीं। मुंह, जितना भी उसकी घनी मूंछों के नीचे से अब तक मैं देख पाया था, भिंचा हुआ और थोड़ा क्रूर दिखता था, जिसमें अजीबो गरीब सफ़ेद पैने दाँत थे। ये होंठों पर बाहर निकले रखे थे, जिनकी असाधारण लालिमा इस उम्र के व्यक्ति की चौंका देने वाली जीवनी शक्ति को दर्शाती थी। इसके अलावा, उसके कान सफ़ेद थे और ऊपर से काफी नुकीले थे। ठुड्डी चौड़ी और मजबूत थी, हालांकि गाल पतले थे। कुल मिला के वह असाधारण रूप से सफ़ेद दिखता था।

अब तक मैंने उसके हाथों के पिछले हिस्से पर ध्यान दिया था, जो उसके घुटनों पर रखे हुए थे, और आग की रोशनी में वे कुछ सफ़ेद और बहुत अच्छे लग रहे थे, लेकिन अब उन्हें अपने नजदीक देख कर मैंने ध्यान दिया कि वे खुरदरे और चौड़े थे और उंगलियाँ भी चौड़ी थीं। कहने में अजीब लगता है, लेकिन उसकी हथेली के बीच में बाल थे। नाखून लंबे और पैने थे और उन्हें तराश कर नुकीला बनाया गया था। तभी काउंट मेरे ऊपर झुका और उसका हाथ मुझसे छू गया, तो मैं अपनी कंपकंपाहट रोक नहीं पाया। शायद इसलिए कि उसकी साँस बदबूदार थी, तो मुझे अजीब सा मतली का एहसास हुआ, जिसे मैं छुपा नहीं सका।

शायद काउंट ने यह भाँप लिया, क्योंकि वह पीछे हट गया और कुटिलता से मुस्कराया, जिससे उसके ऊबड़-खाबड़ दाँत पूरी तरह से नुमायाँ हो गये, और वह आतिशदान के दूसरी ओर अपनी जगह पर बैठ गया। कुछ पलों के लिये हम दोनों ही खामोश हो गये, और जैसे ही मैंने खिड़की की ओर देखा तो मैं ने पाया सूरज निकालने के पहले की हल्की सफेदी नज़र आने लगी है। हर तरफ एक अजीब से सन्नाटे का साम्राज्य था। लेकिन जब मैंने ग़ौर किया, मैंने नीचे घाटी में कहीं बहुत सारे भेड़ियों के हुआने की आवाज़ें सुनीं। काउंट की आँखें चमक उठीं और उसने कहा— “सुनो, रात के बच्चे, क्या संगीत बनाते हैं!”

फिर शायद, मुझे लगता है, मेरे चेहरे पर कुछ अजीब से भाव देख कर उसने आगे कहा— “आह सर, आप शहर में रहने वाले शिकारियों की भावनाओं को क्या जानें।”

फिर वह उठा और कहने लगा—

“लेकिन आप थक गये होंगे। आपका शयनकक्ष बिलकुल तैयार है, और कल आप जितनी देर तक चाहें, सो सकते हैं, मैं दोपहर ढलने तक बाहर रहूँगा, तो अच्छी नींद लीजिये और अच्छे-अच्छे सपने देखिये।”

दरबारी सलाम ठोकते हुए उसने खुद ही मेरे लिये अष्टकोणीय कमरे का दरवाजा खोल दिया, और मैं अपने शयनकक्ष में दाखिल हो गया।

मैं विचारों के समुंदर में डूबा हूँ, मेरे दिल में तरह-तरह के शक पैदा हो रहे हैं, तरह-तरह के डर सिर उठा रहे हैं। मैं अजीब बातें सोच रहा हूँ, जिन्हें खुद से भी स्वीकार करने की मेरी हिम्मत नहीं पड़ रही। ईश्वर मेरी रक्षा करे— अगर मेरे लिये नहीं तो उनके लिए, जो मुझे प्यार करते हैं!

7 मई

आज भी सुबह तड़के का वक़्त है, लेकिन मैंने पिछले चौबीस घंटों में खूब आराम किया है और आनंद लिया है। मैं दिन चढ़े तक सोता रहा, और अपनी मर्ज़ी से ही जागा। मैंने कपड़े पहने और उस कमरे में गया, जहां हमने खाना खाया था, और पाया कि वहाँ ठंडा नाश्ता रखा हुआ है, कॉफी गरम थी, क्योंकि उसके बर्तन को चूल्हे पर रखा गया था। मेज़ पर एक कार्ड था, जिस पर लिखा हुआ था—

“मैं कुछ समय के लिए कहीं जा रहा हूँ। मेरा इंतज़ार मत करना। डी।”

तो मैं बैठ गया और दिल से खाने का आनंद लिया। जब मेरा खाना हो गया, तो मैंने घंटी की तलाश की, ताकि मैं नौकर को बता दूँ कि मैं खा चुका, लेकिन वहाँ कोई घंटी नहीं थी। जितनी अथाह दौलत के यहाँ सबूत बिखरे हैं, उनको देखते, इस घर में कुछ अजीब सी कमियाँ हैं। मेज़ पर रखे बर्तन सोने के हैं, और इतनी खूबसूरती से ढाले गये हैं कि ये ज़रूर बेशकीमती होंगे। पर्दे, कुर्सियों और सोफ़े का कपड़ा और मेरे बिस्तर की लटकनें बेहद कीमती और खूबसूरत कपड़े की बनी हैं, और जब बनी होंगी तो बेहद कीमती रही होंगी— क्योंकि वे सदियों पुरानी हैं, हालांकि बड़ी अच्छी हालत में हैं।

मैंने ऐसी कुछ चीज़ें हैम्पटन की अदालत में देखी थीं— लेकिन वे घिसी हुई थीं, फट चुकी थीं, और उनमें कीड़े लग चुके थे। लेकिन यहाँ किसी भी कमरे में कोई आईना नहीं है। यहाँ तक कि मेरे मेज़ पर कोई टॉइलेट ग्लास तक नहीं है, और मुझे शेव करना हो, या ब्रुश, मुझे अपने बैग से छोटा सा शेविंग ग्लास निकालना पड़ता है।

अभी तक यहाँ मुझे कहीं कोई नौकर नहीं दिखा है, न ही भेड़ियों की आवाज़ के अलावा कोई और आवाज़ सुनाई दी है। कभी-कभी खाना खत्म कर लेने के बाद, समझ में नहीं आता कि इसे नाश्ता कहूँ या शाम का खाना, क्योंकि मैंने इसे पाँच-छः बजे के करीब खाया था, मैंने पढ़ने के लिये कुछ ढूंढा, क्योंकि बिना काउंट की इजाज़त के महल में घूमना मुझे अच्छा नहीं लगता। इस कमरे में कुछ भी नहीं था— किताब, अखबार, या लिखने की भी कोई सामग्री नहीं थी, तो मैंने कमरे में मौजूद एक और दरवाजा खोला और मुझे एक क़िस्म की लायब्रेरी मिल गई। मैंने अपने कमरे के सामने वाला दरवाजा खोलने का प्रयास किया, लेकिन वह बंद था।

क्रमशः


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