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ड्रैकुला 16

 

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  • उसका चेहरा कुछ जाना-पहचाना लगा, और यह जान-पहचान किसी डरावने सपने में हुई थी, लेकिन मुझे याद नहीं आया कि कब और कहाँ। तीनों के दाँत चमकदार सफ़ेद थे, जो उनके लाल कामुक होंठों के माणिकों के बीच मोती से चमक रहे थे। उनमें कुछ तो था, जिसने मुझे असहज कर दिया, थोड़ी लालसा और साथ ही साथ थोड़ा जानलेवा डर। मैंने अपने दिल में एक कुत्सित, जलती हुई ख़्वाहिश महसूस की, कि काश, वे मुझे उन लाल होंठो से चूम लेतीं। यह लिखना अच्छा तो नहीं लग रहा है, कहीं ऐसा न हो कि किसी दिन यह मीना के हाथ लग जाये और उसे तकलीफ हो— लेकिन सच यही है। वे आपस में खुसुर-फुसुर करने लगीं, और फिर वे तीनों हँसीं— कितनी रुपहरी, सुरीली हंसी, लेकिन इतनी कठोर कि ऐसी आवाज़ किसी मनुष्य के होंठों से नहीं निकल सकती। जैसे मधुर जलतरंग, लेकिन इतनी असहनीय, जैसे उसे किसी धूर्त के हाथ बजा रहे हों। गोरी लड़की ने अदा से सिर हिलाया, और दूसरी दो ने उसे आगे धकेला।

    एक ने कहा, “जाओ ना! पहले तुम जाओ, और तुम्हारे बाद हम। शुरू करने का अधिकार तुम्हारा है।”

    दूसरी ने जोड़ा, “वह जवान और ताकतवर है। हम सबको चूम सकता है।”

    मैं चुप-चाप पड़ा था, मैं वासना में तड़पता हुआ उन्हें अपनी पलकों की झिरी से देख रहा था। गोरी लड़की आगे बढ़ी और मेरे ऊपर झुक गई, इतना करीब कि मैं अपने ऊपर उसकी सांसें महसूस कर सकता था। वे कितनी मीठी थीं, एक तरह से शहद जैसी मीठी, और उन्होंने मेरी तंत्रिकाओं में वैसी ही सनसनी पैदा कर दी, जैसी उसकी आवाज़ ने की थी, लेकिन उस मिठास के नीचे एक कड़वाहट छुपी थी, आक्रामकता की कड़वाहट, ऐसी महक जैसी खून में आती है।

    मैं अपनी पलकें खोलने से डर रहा था, लेकिन बरौनियों के पीछे से देख रहा था और अच्छी तरह देख रहा था। लड़की घुटनों के बल बैठ गई और मेरे ऊपर झुक गई और ललचाई नज़रों से बस मुझे घूरने लगी। उसमें कामुकता की एक सोची-समझी अदा थी, जो रोमांचक भी थी और डरावनी भी— और जैसे ही उसने अपनी गर्दन टेढ़ी की, असल में वह अपने होंठों को किसी जानवर की तरह चाटने लगी। चाँदनी में मैं उसके सुर्ख होंठों और लाल जीभ पर चमकती नमी देख सकता था, जिससे वह चपड़-चपड़ अपने पैने दांतों को चाट रही थी। वह नीचे, और नीचे झुकती गई, यहाँ तक कि उसके होंठ, मेरे होंठों और ठुड्डी के भी नीचे चले गये और ऐसा लगा कि वे मेरे गले से चिपक गये हों।

    फिर वह रुकी, और वह अपने होंठों और दाँतो पर फिर ज़ुबान फिराने लगी— क्योंकि मुझे उसकी ज़बान के चटखारे सुनाई देने लगे और मैं उसकी गरम सांसें अपनी गर्दन पर महसूस कर सकता था। फिर मेरी गर्दन की त्वचा पर गुदगुदी सी होने लगी, जैसे जब कोई गुदगुदी करने के लिये हाथों को नजदीक लाता है तब होती है। मैं अपनी गर्दन की बेहद संवेदनशील त्वचा पर उसके काँपते होंठों का स्पर्श और दो पैने दांतों की कठोर चुभन महसूस कर रहा था, जो बस त्वचा को छूते हुए वहीं रुक गये थे। मैंने वासना के लज़्ज़त भरे नशे में अपनी आँखें मूँद लीं और इंतज़ार करने लगा और इस इंतज़ार में मेरे दिल की धड़कनें बढ़ने लगीं।

    लेकिन तभी बिजली की तेज़ी से मेरे अंदर एक और सनसनाहट फैल गई और मुझे वहाँ काउंट की मौजूदगी का एहसास हुआ, और उसके होने के एहसास ने मेरे अंदर क्रोध का एक तूफान जगा दिया। अचानक अनिच्छा से मेरी आँखें खुल गईं, मैंने देखा, उसके ताकतवर हाथ ने गोरी लड़की की नाज़ुक गर्दन को जकड़ कर अपनी दानवीय शक्ति से उसे पीछे खींच लिया, नीली आँखें क्रोध से भर गईं, सफ़ेद दाँत रोष से किटकिटाने लगे और गोरे-गोरे गाल जुनून में लाल पड़ गये— लेकिन काउंट! मैंने ऐसे ग़ुस्से और रोष की कभी कल्पना भी नहीं की थी, नर्क के दानवों में भी नहीं।

    उसकी आँखें सकारात्मक रूप से धधक रही थीं। उनकी लाल चमक और भी भयंकर हो गई थी, जैसे उनके पीछे नर्क की आग धधक रही हो। उसका चेहरा मौत की तरह फीका था, और उसकी लकीरें इतनी कठोर लग रही थीं जैसे तार खींच दिये गये हों। घनी भौहें, जो नाक के ऊपर मिल जाती थीं, सफ़ेद गरम धातु की एक छड़ के जैसी लग रही थीं। अपने हाथ के एक भीषण झटके से उसने उसे खुद से दूर फेंक दिया और फिर दूसरी दोनों की ओर इशारा किया, जैसे वह उन्हें पीछे भेज रहा हो। यह वही राजसी इशारा था, जैसा मैंने भेड़ियों को भगाने के लिये देखा था। एक ऐसी आवाज़ में, जो हालांकि बहुत धीमी थी, लगभग फुसफुसाहट जैसी, लेकिन जो हवा को काटती चली गई और पूरे कमरे में गूंजने लगी, उसने कहा—

    “उसे छूने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, तुम में से किसी की भी? उस पर नज़र डालने की भी हिम्मत कैसे हुई, जबकि मैं ने इसके लिये मना किया था? फिर से, मैं तुम सबसे कह रहा हूँ! यह आदमी मेरा है! उस हाथ लगाने की हिम्मत भी मत करना, वरना तुम्हें मुझसे निपटना पड़ेगा।”

    गोरी लड़की अश्लील अदा से हंसी और उसने उसकी ओर घूम कर जवाब दिया, “आपने खुद तो प्यार किया नहीं। आप कभी प्यार नहीं करते!” इस पर और औरतों ने भी साथ दिया और पूरे कमरे में एक निर्मम, कठोर, निर्जीव हंसी गूंज उठी, जिसे सुन कर मेरे कान सुन्न पड़ गये। ऐसा लगता था जैसे दानव आनंद मना रहे हों।

    फिर काउंट मुड़ा और ध्यान से मेरे चेहरे को देखा, और फिर धीरे से फुसफुसा कर बोला, “हाँ, मैं भी प्यार कर सकता हूँ। तुम खुद ही अपने अतीत में झांक कर देख सकती हो। ऐसा नहीं है क्या? खैर, मैं वादा करता हूँ कि एक बार उससे मेरा काम निकल जाये, फिर तुम उसे मनचाहे ढंग से चूम लेना। अब जाओ! जाओ! मुझे उसे जगाना होगा, क्योंकि बहुत काम करना है।”

    “आज हमें कुछ नहीं मिलेगा क्या?” उन में से एक ने धीरे से हँसते हुए कहा और उस थैले की ओर इशारा किया जो उसने ज़मीन पर फेंक दिया था, और जो ऐसे हिल रहा था, जैसे उसमें कोई ज़िंदा चीज़ हो। जवाब में उसने स्वीकृति में गर्दन हिलाई। एक और उछल कर आगे बढ़ी और उसे खोल दिया। अगर मेरे कान मुझे धोखा नहीं दे रहे थे तो उसमें से हाँफने की और धीमी सी रोने की आवाज़ आई, जैसे किसी बच्चे का दम घोंटा जा रहा हो। औरतों ने उसे घेर लिया जबकि मैं डर के मारे हक्का-बक्का रह गया। मेरे देखते ही देखते वे गायब हो गईं, और उनके साथ ही वह डरावना थैला भी। उनके आसपास कोई दरवाजा नहीं था, और मुझे पता लगे बिना वे मेरे पास से नहीं गुज़र सकती थीं। ऐसा लगता था कि वे बस चाँदनी में विलीन हो गई हों और खिड़की से बाहर निकल गई हों, क्योंकि मुझे पल भर के लिये उनके धुंधले से छायारूप नज़र आए, और फिर वे गायब हो गईं।

    फिर खौफ पूरी तरह से मुझ पर हावी हो गया और मैं बेहोश हो गया।

    क्रमशः
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