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ड्रैकुला 11

 


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  • करीब एक घंटा बीता होगा कि काउंट लौट आया।

    “आहा!” उसने कहा— “अभी भी पढ़ रहे हैं? अच्छा है! लेकिन हर समय काम में ही मत डूबे रहिये। आइये, मुझे बताया गया है कि आपका खाना तैयार है।”

    उसने मेरी बांह पकड़ी और हम दूसरे कमरे में जा पहुंचे, जहां मैंने पाया कि मेज़ पर बेहतरीन खाना लगा हुआ था। काउंट ने माफी मांग ली, कि उसने बाहर ही, जहां वह गया था, खाना खा लिया था। लेकिन वह पिछली रात की तरह वहाँ बैठा रहा, और जब मैं खाना खा रहा था, वह बातें करता रहा और घंटों तक विभिन्न विषयों पर ढेरों सवाल पूछता रहा। मुझे लगा रहा था कि काफी देर हो गई है, लेकिन मैंने कुछ कहा नहीं, क्योंकि मुझ पर अपने मेजबान की हर इच्छा को पूरा करने की ज़िम्मेदारी थी।

    मुझे नींद नहीं आ रही थी, क्योंकि कल की लंबी नींद ने मुझे मजबूत बना दिया था, लेकिन मैं सुबह के समय बढ़ती हुई ठंड का अनुभव करने से खुद को रोक नहीं पा रहा था, जो लगता था कि होने ही वाली थी, जो चढ़ते हुए ज्वार की तरह थी। कहते हैं कि जिन लोगों की मौत नजदीक होती है, वो अक्सर सूरज उगने के समय अपनी जान छोडते हैं, या ज्वार आने पर। कोई भी व्यक्ति जो थक गया है, या अपने पद की मर्यादा से बंधा हुआ है, जिसने माहौल में ऐसे बदलाव का अनुभव किया है, इस पर सरलता से यकीन कर लेगा। अचानक हमने सुबह की हवा में तैरती आती मुर्गे की आसामान्य रूप से कर्कश बांग सुनी।

    काउंट ड्राक्युला उछल कर अपने पैरों पर खड़ा हो गया और कहने लगा, “यह सुबह फिर से क्यों आ गई! मुझे आपको इतने लंबे समय तक के लिये अकेले छोडने का कैसा पछतावा होता है। आपको मेरे नये प्यारे देश के बारे में अपनी बातों को ज़रा कम दिलचस्प बनाना चाहिये, ताकि मैं भूल न जाऊँ कि हमारा समय कैसे उड़ जाता है।”

    और दरबारी अंदाज़ में झुकते हुए वह मुझे छोड़ कर चला गया।

    मैं अपने कमरे में चला आया और पर्दे खींच दिये, लेकिन गौर करने लायक कुछ था नहीं। मेरी खिड़की प्रांगण की ओर खुलती थी, अगर मुझे कुछ नज़र आ रहा था तो बस सुबह के स्लेटी आकाश में फैलती गर्मी। तो मैंने फिर से पर्दे खींच दिये और पूरे दिन का हाल लिखने लगा।

    8 मई

    मुझे डर लगने लगा है, जैसा कि मैंने इस किताब में लिखा है कि मैं बहुत विस्तार में जा रहा था— लेकिन अब मुझे खुशी हो रही है कि मैंने शुरू से ही बारीक से बारीक बातों को दर्ज किया है, क्योंकि इस स्थान में कुछ तो बहुत अजीब है और कुछ ऐसा, जिसको लेकर मैं बस असहज महसूस कर रहा हूँ। काश मैं इसके बाहर सुरक्षित होता, या मैं यहाँ कभी आया ही नहीं होता। शायद यह रात की अजीब ज़िंदगी मुझ पर हावी हो रही हो, लेकिन क्या सिर्फ इतना ही है! शायद अगर कोई बात करने वाला होता तो मैं यह सब झेल जाता, लेकिन यहाँ कोई नहीं है। मेरे पास बात करने के लिये बस काउंट है, और वह.....

    मुझे लगता है कि इस जगह सिर्फ मैं ही एक ज़िंदा इंसान हूँ। चलो अब तक सामने आये तथ्यों को सामने रख कर विचार करते हैं। इससे मुझे झेलने में मदद मिलेगी और कल्पना मेरे साथ खेल नहीं खेलेगी। अगर ऐसा है तो मैं पागल हो गया हूँ। मुझे फौरन कहना पड़ेगा कि मैं कहाँ खड़ा हूँ या सब कैसा दिख रहा है।

    जब मैं सोने गया तो मैं बस कुछ घंटे ही सो पाया, और यह लगने पर कि अब मैं नहीं सो पाऊँगा, मैं उठ गया।

    मैंने अपना दाढ़ी बनाने का शीशा खिड़की पर टांग लिया, और दाढ़ी बनाने जा रहा था। अचानक मुझे अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस हुआ, और मैंने काउंट की आवाज़ सुनी, जो मुझसे कह रहा था— “गुड मॉर्निंग।”

    मैं चौंक गया, क्योंकि मैं उसे देख नहीं पाया था, और इस बात ने मुझे आश्चर्य में डाल दिया, क्योंकि शीशे में मेरे पीछे का लगभग पूरा कमरा दिख रहा था। चौंकने के कारण मेरा गाल ज़रा सा कट गया, लेकिन मैंने उस समय उस पर ध्यान नहीं दिया। काउंट के अभिवादन का जवाब दे कर मैं यह देखने के लिये फिर से शीशे की ओर मुड़ा कि मुझसे ऐसी गलती कैसे हो गई। इस बार मुझसे कोई गलती नहीं हो रही थी, क्योंकि वह मेरे बिलकुल पास ही खड़ा था, और मैं अपने कंधे के पीछे उसे देख सकता था, लेकिन शीशे में उसका कोई अक्स नहीं दिख रहा था! मेरे पीछे का पूरा कमरा दिख रहा था— लेकिन इसमें मेरे अलावा कोई और आदमी नहीं दिख रहा था।

    यह बात चौंकाने वाली थी, और उन सब अजीब बातों से बढ़ कर थी, और इससे मेरे अंदर बेचैनी का वह एहसास बढ़ने लगा, जो काउंट के आसपास रहने पर मुझे हमेशा होता रहता था— लेकिन तभी मैंने देखा कि घाव से ज़रा सा खून छलक आया है, जो बह कर मेरी ठुड्डी तक आ गया था। मैंने रेज़र नीचे रख दिया, और थोड़े चिपकने वाले प्लास्टर की तलाश में पीछे मुड़ा। जैसे ही काउंट ने मेरा चेहरा देखा, उसकी आँखें एक प्रकार के दानवीय पागलपन से चमक उठीं, और उसने अचानक झपट कर मेरा गला पकड़ लिया। मैं पीछे हटने लगा और उसका हाथ उन मोतियों की माला से छू गया, जिसमें क्रूसिफिक्स गूँथा हुआ था। इससे उसमें तत्काल परिवर्तन दिखाई पड़ा, क्योंकि वह पागलपन इतनी जल्दी गायब हो गया, कि मुझे यकीन नहीं आया कि यह कभी उसकी आँखों में दिखा भी था।

    “ध्यान रखा कीजिये,” उसने कहा— “ध्यान रखा कीजिये, देखिये कैसे आपको घाव हो गया है। इस देश में यह कितना खतरनाक है, आप सोच भी नहीं सकते।”

    फिर शीशा उठा कर वह आगे कहने लगा— “और यही वह मनहूस चीज़ है, जो सारी गड़बड़ की जड़ है। यह मनुष्य की तुच्छता को छुपा कर उसके अहंकार को बढ़ाने वाली बकवास चीज़ है। इससे दूर रहो!”

    और अपने भयानक हाथ के एक ही झटके से खिड़की खोल कर उसने शीशे को बाहर फेंक दिया, जो काफी नीचे प्रांगण के पत्थरों से टकरा कर चूर-चूर हो गया। फिर वह बिना एक भी शब्द बोले वहाँ से चला गया। इससे मैं बहुत खीझ गया, क्योंकि अब मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं दाढ़ी कैसे बनाऊँगा, शायद मुझे अपने घड़ी के डब्बे या दाढ़ी बनाने वाले बर्तन के पेंदे में देखना पड़ेगा, जो सौभाग्य से धातु के बने हैं।

    जब मैं खाने के कमरे में पहुंचा, नाश्ता तैयार था, लेकिन काउंट मुझे कहीं नहीं दिखा। इसलिए मैंने अकेले ही नाश्ता किया। यह भी अजीब है कि मैंने अभी तक काउंट को कुछ खाते-पीते नहीं देखा। वह बहुत ही अजीब आदमी लगता है! नाश्ते के बाद मैंने महल में थोड़ी खोज-बीन की। मैं बाहर सीढ़ियों पर गया, और मुझे एक कमरा मिला, जो दक्षिणोन्मुखी था।
    यहाँ का नज़ारा अद्भुत था, और जहां मैं खड़ा था वहाँ से इसका पूरा-पूरा आनंद लिया जा सकता था। महल एक भयानक खड्ड के किनारे पर बना हुआ है। अगर खिड़की से एक पत्थर फेंका जाए तो वह बिना किसी चीज़ को छुए नीचे हजारों फीट की गहराई में जा कर गिरेगा! जहां तक नज़र जाती है, बस हरे-भरे पेड़ों के सिरे नज़र आते हैं। बस कहीं-कहीं कोई गहरी दरार नज़र आती है, जहां खाई होती है। कहीं-कहीं गहरी घाटियों में जंगलों के बीच से हो कर बहती नदियां चांदी के धागों के जैसी दिखती हैं।
    लेकिन जब मैंने थोड़ी और तहक़ीक़ात की, तब जो मैंने पाया, उसके बाद मैं सुंदरता का बखान करने की हालत में नहीं था। दरवाज़े, दरवाज़े, हर तरफ दरवाज़े, और सबमें ताला बंद। खिदकियों के अलावा महल की दीवारों में बाहर निकालने का और कोई रास्ता नहीं है। यह महल असल में एक क़ैदख़ाना है, और मैं एक क़ैदी हूँ!

    क्रमशः

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