Header Ads

अ वेडिंग नाईट

 


"देख न कितना सजीला है बिल्कुल किसी राजकुमार जैसा ! "
"हम्म ! मेरी बला से ..नक्शे देख उसके ..अपने को कितना ओवर स्मार्ट समझ रहा है "
लेकिन निहारिका से सहमत होने के उपरांत भी मैं उसे ऐसा दिखा रही थी कि मुझे उसकी बातों और उसके दृश्यों से कोई सरोकार नही !
जबकि मैं हृदय हारने की उस सीमा पर पहुँच चुकी थी जहाँ मुझे और अधिक ठेलना ऐसा होगा जैसा झरने के साथ होता है ... झरना गिर के जल के संचयन में वृद्धि करता है और मैं उस अमुक युवा की सुंदरता में जैसे घुलने लगी थी ।
हाँलाकि उसकी दृष्टि अभी तक मेरी दृष्टि से नही टकराई थी ..लेकिन भला हो मेरा क्यूँकि अब यदि किसी क्षण भी उसके नयन मेरे नयन से मिलते तो मैं उसकी हो जाती .....
और वही हुआ भी , उसने मुझे देखा और मेरी रूह तक काँप गई ..निराली शोखी थी उसके देखने में ..और मेरी हथेलियों में पसीना उबलने लगा ...
मैं उस क्षण ऐसी अनुभूति में खो गई जैसे किसी ने मेरे अधरों को गुलाब से छू दिया हो और उसके बाद कहा हो कि ...गुलाब की रंगत आपके होंठों की झूठन है ।।
लेकिन मैंने त्वरित स्वयं को व्यवस्थित किया और मन के अश्वों की लगाम को प्रेम तरु की शाख में बाँध लिया ।।।।
पूरी बारात की भीड़ में अब जैसे मैं अकेली पड़ गई थी ... निहारिका को समझने में क्षणिक भी समय नही लगा कि मैं दिल हार चुकी हूँ !!!
" क्यों जी ! आप तो बन्दे को..नक्शेबाज और ओवर स्मार्ट बोल रहीं थी ...अब उसी के नक्शे खींच रही हो न दिल में "
" चल हट ..पगली कहीं की "
निहारिका बड़ी जोर से हँसी औऱ मैं झेंप गई लेकिन अब मेरा अंतर्मन स्वीकार करने लगा था कि मुझे पहली नजर का प्यार हो चुका था ।।।
लेकिन पिछले तीन साल से जिस लड़के यानि गौरव से मैं बाते करती हूँ ...उसके लव यू का जवाब आई लव यू टू बोलकर देती हूँ ...तो फिर वो क्या है ..?
आत्मग्लानि हो रही थी , लेकिन हृदय आत्मनियंत्रण के सारे अधिकार खो चुका था ...शादी में हर जवान लड़की उसी चेहरे को घूर रही थी जिसकी नजर सिर्फ मुझपर ही टिकी थी !!!
गौरव बहुत अच्छा लड़का है , मुझे जान से ज्यादा प्रेम करता है ..वो इंटेलिजेंट है ..बहुत समझदार है लेकिन इस लड़के में जो बात है वो मुझे आज तक फिर कहीं नही दिखी !!!!
" पलक अब ज्यादा हो रहा है यार ... मैं तो मजाक कर रही थी ..यू आर कमिटेड यार ..तू गौरव के साथ ऐसा नही कर सकती !"
मैंने खा जाने वाली नजरों से निहारिका को देखा ...हाँलाकि उसकी बात सही थी लेकिन इस क्षण सुनने में बिल्कुल भी मीठी और सार्थक नही थी !!!
" तेरा ही भाई पड़ा था मेरे पीछे समझी ...और तुझे बुरा न लगे इसलिए मैंने उससे हाँ बोली .. बहुत सेंटी है वो कुछ उल्टा-सीधा न कर ले इसलिए उससे मन मारकर एक रिश्ते में बँधी हूँ ..वरना नही पसन्द है मुझे तेरा भाई ...सुन लिया "
निहारिका मेरी बेस्ट फ्रेंड मेरा चेहरा ही ताकते रह गई ....उसके चेहरे पर हवाईयां उड़ रही थी ...
" मतलब तीन साल से तू मेरे भाई से फ्रॉड कर रही है वो भी प्यार के नाम पर ...?"
पलक ने फिर उस लड़के से नजरें हटाई और मेरी तरफ खूँखार नजरे लेकर बोली -
" फ्रॉड तेरा भाई है ...जो अपना स्टेटस भूल गया है ... उसकी हिम्मत कैसे हुई मुझे प्रपोज करने की ...मैं सिर्फ उससे इसलिए बात करती हूँ क्यूँकि वो इंटेलिजेंट है ..और मुझे उससे स्टडी में हेल्प मिलती है अंडरस्टैंड !
" मतलब तू गौरव का यूज कर रही थी ...?"
पलक ने मेरी बातों को अनसुना किया और मुझे छोड़ आगे बढ़ गई ....वो उन लड़कियों के साथ जाकर खड़ी हो गई जहाँ खड़ा होना मुझे गँवारा नही था ।।।
मेरा गुस्सा चरम पर पहुँच गया और मैं आगे बढ़ी और मैंने मजबूती से पलक की कलाई पकड़ ली और उसे शामियाने के पीछे खींचकर ले आई ...
" कमीनी मेरे भाई को धोखा देकर आखिर तुझे क्या मिला बोल ..?"
अपने बालों की लटों को एडजस्ट करके पलक बोली -
" तुझे और तेरे भाई को मेरा जो करना है कर ले जा ...और सुन तू यहाँ इसलिए खड़ी है क्यूँकि मैंने तुझे मुँह लगाया वरना तुम जैसे लोग हमारे स्टेटस को शूट नही करते ..समझी पोस्टमैन की औलाद!"
इतना सुनकर मैं आग बबूला हो गई ...और मैंने एक कर्रा तमाचा पलक के गाल पर मारने को उठा लिया लेकिन पलक ने फुर्ती से मेरा हाथ पकड़ लिया !!!
" अगर मेरे मामा की शादी नही होती निहारिका तो ...इस वक्त तू वहाँ पड़ी होती जहाँ वो झूठी प्लेट्स पड़ी हैं ...अपनी औकात में रह समझी "
पलक मुझे वहीं छोड़कर आगे बढ़ गई .....मैं रोती सिसकती रही ... तभी पीछे से एक आवाज सुनाई पड़ी !!!
" अब रोना -धोना बन्द करो तो मैं आपका नाम जान सकता हूँ ?"
वही लड़का जो पूरी बारात की जान था अभी मेरे पीछे खड़ा था ..मैं हक्की-बक्की हो गई और उसे देखने लगी ...
" अब क्यों नजरें चुरा रहीं हैं ..जबकि पूरे दो घण्टे से मुझे घूर रही थीं आप ...मैंने सच बोला न ..?"
मैं बुरी तरह झेंप गई ...और आवाज बटोरकर बोली -
" लेकिन आप तो मेरी दोस्त पलक को घूर रहे थे !"
लड़का गहरी साँस लेकर बोला-
" आप जो उसके पीछे खड़ी थी ..और वैसे भी लड़की पटानी हो तो उसकी दोस्त को चारा डालना ही पड़ता है न !"
मैं फिर गुस्से में भर गई और कड़कर बोली -
" क्या समझते हैं आप लोग प्यार को ..सिर्फ एक सिगरेट जिसे पीया और फेंक दिया ...आज मैं ..कल मुझसे मन भरा तो कोई और ..फिर कोई और ..."
लड़का गम्भीर मुद्रा में आ गया और आवाज में विश्वास समाहित करके बोला -
" मैं नही जानता आपकी प्रॉब्लम क्या है ...लेकिन हर इंसान को सिर्फ एक चश्मे से देखना क्या गलत नही ...मानता हूँ ...किसी ने आपके विश्वास को चोट लगाई हो ..लेकिन सोचिए न विश्वास नही तो कोई रिश्ता ही कहाँ मुकम्मल होता है "
इतना बोलकर वो लड़का चला गया ...लेकिन मैं उसकी बातों को अब समझने की तेज कोशिश कर रही थी ...और जो मन अभी बारात से घर जाने को कर रहा था वो अब वहीं रुक गया..
लेकिन मैं चाहती थी कि उस लड़के के विश्वास और
विश्वसनीयता को पहले अपने विश्वास की कसौटी में परखूँ ...इसलिये मैंने अब उसके सीधे सामने जाने से परहेज किया ...
और मैं छिप-छिप कर उसकी विश्वनीयता को टटोलने लगी ....वो लगातार मुझे नजरों से सर्च कर रहा था ...लेकिन मैंने उसकी नजर से गहरी दूरी बना ली थी ..... जब उसे पूर्ण विश्वास हो गया कि मैं अब बारात का हिस्सा नही तो वो मायूस होकर एक कुर्सी पर जाकर बैठ गया ।।।
उसकी प्रतिक्रियाओं को अभी मैं अपने मानसिक स्तर से समझ रही थी ...लेकिन अब उसके सामने पलक थी ...लेकिन उसे कोई फर्क नही पड़ रहा था .... अमूमन हर लड़की उसकी इंटेशन चाह रही थी लेकिन वो मायूस , उदास अपनी कुर्सी से हिला नही ...और अपने मोबाइल में खो गया ।।।
ये विश्वनीयता धैर्य के रामबाण पर सत्यापित हो सकती थी ... इसलिये मैंने इरादा कर लिया कि कुछ घण्टे और उसके सामने नही आऊँगी ।।। ताकि उसके मन से ये शक दूर हो जाये कि मैं अभी भी कहीं इस बारात का हिस्सा हूँ।
पलक ने हर कोशिश कर ली कि वो लड़का उसे भाव दे लेकिन वो बड़ा हठधर्मी था उसने नजरें सिर्फ दूल्हा -दुल्हन या मोबाइल पर बनाये रखी ...
दो घण्टे बीत गए और अब उसकी बेचैनी बढ़ गई ..वो मुझे ढूँढने शामियाने के पीछे आया ..जब मैं उसको वहाँ नही मिली तो वो हर तरफ घूम -घूम के मेरा जायजा लेने लगा .....
लेकिन मैं जहाँ थी बस वो वहाँ तक नही पहुँच सका ... अब उसे पूर्ण विश्वास हो गया कि मैं उसकी नजरों और किस्मत से दूर निकल चुकी हूँ ...
तभी उसने एक बच्चे को इशारे से बुलाया और कुछ कहा ....मैंने नजरों से बच्चे के कदमों के पीछा किया ...और उस लड़के का भी ...लड़का शामियाने के पीछे गया और बच्चा सीधे पलक के पास ....शामियाने के पीछे से उस लड़के ने पलक को देखकर स्माइल दी और पलक डोर से बनी पतंग बनकर उसकी ओर बढ़ने लगी ....
मैं सब समझ चुकी थी ..मुझे पता था उसका असली चेहरा क्या है ..वो बिल्कुल पलक की कैटेगिरी का लड़का था ...अभी तक वो ये सब नाटक इसलिए कर रहा था क्यूँकि उसे लगता था मैं कहीं से उसे छिपकर देख रहीं हूँ ।।लेकिन जब उसे विश्वास हो गया कि अब मैं बारात में मौजूद नही तो वो अपने असली रंग में आ गया ।।।
मेरा अब बारात में रुकना नीचता होता ...लेकिन मैंने फैसला कर लिया कि अपनी दोस्त और उस लड़के के ऊपर थूककर जरूर जाऊँ ...इसलिए मैंने शामियाने के पीछे की ओर कदम बढ़ा दिए और जब थोड़ी दूरी रह गई उनके पास पहुँचने की तो ....
" प्लीज या तो मुझे अपनी दोस्त का फोन नम्बर दे दो या फिर उसके घर का एड्रेस बता दो प्लीज़ "
पलक और मैं दोनों एक साथ ठिठक गये ...मैं खामोश रही और वहीं छिपी रही ... लेकिन पलक बोल पड़ी -
" क्यों ..क्या काम है उससे ..?"
वो लड़का बड़ी बेबाकी से बोला -
" मुझे उससे प्यार हो गया है ..हाँ पहली नजर का प्यार ...और मैंने इन कुछ घण्टों में फैसला भी कर लिया है कि मैं उससे शादी करूँगा ! "
पलक को बुरी तरह तेज झटका लगा और मुझे भी ...लेकिन न जाने क्यों मेरी आँखें भीग गई ..
" आप को पता है ..उसका बाप पोस्टमैन है ..अपना स्टेटस और उसका स्टेटस तो देखो "
लड़का कड़कर बोला -
" उनसे बड़ा कोई नीच नही ..जो प्यार के नाम पर पहले लोगों की औकात तौलते है ...प्यार के नाम पर लोगों को धोखा देते हैं .. उनका इस्तेमाल करते हैं.. सही कहा आपने मेरा और आपकी दोस्त का कोई स्टेटस नही ..लेकिन मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उसकी तरह शरीफ , इज्जतदार , सच्चा और इमोशनल बन सकूँ "
पलक को जैसे साँप सूँघ गया और वो गुस्से में पैर पटक कर वहाँ से चली गई ...और वो लड़का अकेला खड़ा होकर एक हाथ अपनी कमर में रखकर और दूसरा अपने सर में रखकर खुद से मन ही मन कुछ पूछने लगा ...
" निहारिका नाम है मेरा ...और आपका ....? "
वो लड़का मेरी तरफ पलटा और मैंने उसकी आँखों में देखा ..उसकी आँखें साफ बता रही रही कि उसमें मेरे लिए बेहद प्यार उमड़ रहा है ....लेकिन उस लड़के ने सीधे मेरी कलाई को पकड़ा और मुझे सीधे बारात में ले गया ...
पूरी बारात का हर एक इंसान हमें ही घूर रहा था जहाँ मैं शर्म से पानी -पानी हो रही थी वहीं वो कुछ ढूँढ रहा था ...पलक हम दोनों को ऐसे देखकर खुद की लगाई आग में जलने लगी ...तभी वो रुका -
" पापा ..ममा... ये निहारिका है ..ये मुझे बहुत पसंद है ...इंफेक्ट आई एम फॉल इन लव ...शादी करना चाहता हूँ इससे "
उसकी ये बात सुनकर बारात का डी. जे तक ऑफ हो गया..दूल्हा -दुल्हन फेरे ले रहे थे वो तक रुक गए ....और मैं शर्म से जमीन में गड़ी जा रही थी ...
तभी उसकी मम्मी आगे बढ़ी और मेरा चेहरा अपनी अंगुलियों से ऊपर उठाया और बोली -
" बहुत अच्छी पसन्द है तेरी कुणाल ...हमें भी तेरी पसन्द , पसन्द है बेटा "
वक्त बीत गया ...मेरी शादी कुणाल से हो गई और सुहागरात के दिन जब मैंने जब कुणाल से पूछा -
" आपने उस दिन ऐसा क्यों किया था कुणाल ...सीधे मेरा हाथ पकड़कर ....."
मैं अपना सवाल पूरा करती इससे पहले ही उसने मेरे होंठों पर अँगुली रखी और बोला -
" दुनिया की कोई भी लड़की बहुत एडवांस हो चुकी है ...वो अच्छी तरह जानती है कि अब प्यार के नाम पर एक लड़के को ..एक लड़की से क्या चाहिए...और तुम तो कुछ ज्यादा ही एडवांस निकली ..मुझे उस दिन लगा कि कहीं फिर तुम मुझे फ्रॉड समझकर कहीं गोल हो गई तो मैं कहाँ सर्च करूँगा तुम्हे
..तुम विश्वास हार चुकी थी... मैं कुछ भी कर लेता लेकिन तुम यकीन नही करती ...इसलिए तुम्हे सीधे अपने ममा-पापा के सामने ले गया ...दुनिया की हर लड़की जानती है कि झूठा आशिक कभी शादी तक नही पहुँचता और सच्चा प्यार करने वाला अपनी प्रेयसी से सदा शादी के लिए उतावला रहता है । क्यूँकि उसे अपने प्यार के खो जाने का डर लगा रहता है ....खैर अब बत्ती बुझाये ........?"
मेरी जिंदगी में फिर एक उजाले ने करवट ली ..और मेरी जिंदगी कुणाल को पाकर मुकम्मल हो गई लेकिन हर लड़की की किस्मत मुझ सी नही होती .......गौरव ने पलक से मुक्ति पाई और आज पलक अपने स्टेटस में खुश है .....लेकिन खुश होने का दिखावा .. अक्सर जीना नही होता ....क्यूँकि जिंदा रहने में वफ़ा और मुहब्बत दोनों की जरूरत होती है ।।।।।।

Written by Junaid Pathan

No comments