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ड्रैकुला 5


किश्त 5 

फिर मेरी तरफ मुड़ कर उसने मेरी जर्मन से भी ज़्यादा टूटी-फूटी जर्मन में कहा—

“यहाँ कोई गाड़ी नहीं है। शायद श्रीमान के आने की उम्मीद नहीं की जा रही थी। अब वह बुकोविना आयेगा और कल या परसों लौटेगा, बेहतर हो कि परसों।”

अभी वह बोल ही रहा था कि अचानक घोड़े हिनहिनाने, खौखियाने और बुरी तरह बिदकने लगे, इसलिए ड्राइवर को उन्हें संभालना पड़ा। फिर जल्दी जल्दी क्रॉस बनाते सहयात्रियों की मिलीजुली चिल्लाहटों के बीच पीछे से चार घोड़ों वाली एक बग्घी आई, हमारे आगे निकली गाड़ी के बगल में रुक गई।

मैंने अपनी गाड़ी के दियों की रोशनी में देखा, कि घोड़े कोयले जैसे काले और शानदार थे। उनका ड्राइवर एक लंबा आदमी था, जिसकी लंबी भूरी दाढ़ी थी, और बड़ा सा काला हैट पहने था, लगता था कि वह अपना चेहरा हम लोगों से छुपा रहा था। जैसे ही वह हमारी तरफ घूमा— मैंने बेहद चमकीली दो जोड़ी आँखें देखीं, जो लैम्प की रोशनी में लाल लग रही थीं।

उसने ड्राइवर से कहा— “तुम आज बड़ी जल्दी आ गये, मेरे दोस्त।”

“अंग्रेज़ श्रीमान को ज़रा जल्दी थी।” जवाब देते हुए वह हकलाने लगा।

इस पर अजनबी ने जवाब दिया— “अच्छा, मुझे लगता है, तभी तुम उनको बुकोविना ले जाने को तैयार थे, तुम मुझे धोखा नहीं दे सकते, मेरे दोस्त। मुझे बहुत ज़्यादा पता है और मेरे घोड़े बहुत तेज़ चलते हैं।”

बोलते हुए वह मुस्कराया, और दिये की रोशनी में उसका चेहरा बड़ा कठोर लगा। उसके होंठ बहुत लाल थे और दाँत पैने दिखते थे— और इतने सफ़ेद थे, जैसे हाथीदांत के बने हों। तभी मेरे एक सहयात्री ने दूसरे से बर्गर के “लिनोर” की यह पंक्ति बोली:

“डेन डाइ टोड्तेन रेइटेन श्नेलल।“
(“क्योंकि मुर्दे तेज़ चलते हैं।”)

अजनबी ड्राइवर ने शायद ये शब्द सुन लिये, क्योंकि उसने मुस्कराते हुए उसे देखा। यात्री ने अपना चेहरा घूमा लिया, इसके साथ ही उसने अपनी दो उँगलियों से खुद को क्रॉस किया।

“मुझे श्रीमान का सामान दे दो।” ड्राइवर ने कहा।

और बड़ी ही फुर्ती से मेरे सामान की अदला-बदली हुई और वह बग्घी में रख दिया गया। फिर मैं गाड़ी के एक किनारे से नीचे उतरा, क्योंकि बग्घी पास में ही खड़ी थी। ड्राइवर ने मेरी मदद करने के लिये मेरा हाथ पकड़ा तो मुझे ऐसा लगा, जैसे किसी लोहे के शिकंजे में जकड़ लिया हो। उसकी शक्ति ज़बरदस्त रही होगी। बिना कुछ बोले उसने अपनी लगाम हिलाई, घोड़े मुड़े, और हम दर्रे के अंधेरे में दाखिल हो गये।

मैंने पीछे मुड़ कर देखा— लैम्प की रोशनी में गाड़ी के घोड़ों के मुंह से निकलती भाप दिखाई दे रही थी… और उसके सामने दिख रही थीं, मेरे पिछले सहयात्रियों की आकृतियाँ, जो खुद को क्रॉस कर रहे थे। फिर ड्राइवर ने अपना चाबुक फटकारा और घोड़ों को ललकारा, और वे अपने बुकोविना के रास्ते पर आगे बढ़ गये।

जैसे ही वे अंधेरे में गुम हुए, मुझे एक अजीब सी ठंडक महसूस हुई, और एक अकेलेपन के एहसास ने मुझे घेर लिया। तभी मेरे कंधों पर एक लबादा आ गिरा, और मेरे घुटनों पर एक गलीचा आ कर गिरा, और ड्राइवर ने बेहतरीन जर्मन में कहा—

“रात बहुत ठंडी है, मेरे श्रीमान, और मेरे मालिक काउंट ने मुझे आपका पूरा ध्यान रखने का निर्देश दिया है। सीट के नीचे स्लिवोविट्ज (देश की आड़ू की ब्रैंडी) का एक फ्लास्क है, अगर आप चाहें तो।”

मैंने ली नहीं, लेकिन मुझे यह जान कर राहत ज़रूर मिली कि वह वहाँ थी। मुझे थोड़ा अजीब तो ज़रूर लग रहा था, लेकिन डर नहीं लग रहा था। मुझे लगता है कि अगर कोई और विकल्प होता तो मैं उस रात के अजनबी सफर को दोष देने के बजाय उसको अपनाता।

बग्घी तेज़ रफ्तार से सीधी चली जा रही थी। फिर हमने एक पूरा मोड़ लिया और हम दूसरी सड़क पर सीधे चलने लगे। मुझे ऐसा लग रहा था कि हम बार-बार एक ही जगह पर चक्कर काट रहे हैं, और फिर मैंने कुछ मुख्य बिन्दुओं पर ध्यान देना शुरू किया और पाया कि ऐसा ही था। मैं ड्राइवर से पूछना चाहता था कि यह सब क्या है— लेकिन मुझे ऐसा करने में डर लगा, क्योंकि मुझे लगा, एक ऐसी जगह, जहां मैं इस समय था, अगर उसका इरादा जान-बूझ कर देरी करने का था तो उससे कोई फर्क तो वैसे भी न पड़ता।

हालांकि थोड़ी देर बाद मुझे यह जानने की उत्सुकता हुई कि समय कितना बीत गया है, तो मैंने एक माचिस जला कर इसकी रोशनी में अपनी घड़ी की ओर देखा। आधी रात होने में कुछ ही मिनट बाक़ी थे। इससे मुझे एक तरह का धक्का-सा लगा— क्योंकि मुझे लगा कि आधी रात के बारे में सामान्य अंधविश्वास मेरे हाल के अनुभवों से मेरे ऊपर हावी होने लगे थे। मैं एक बीमार कर देने वाली कश्मकश में घिरा इंतज़ार करने लगा।

तभी दूर कहीं किसी खेत में कोई कुत्ता रोने लगा— लंबा दर्दनाक रोना, जैसे डर गया हो। फिर इस आवाज़ में एक और कुत्ते की आवाज़ मिल गई, और फिर एक और, फिर एक और, फिर हवा के परों पर सवार हो कर, जो अब दर्रे में धीरे-धीरे बह रही थी— एक जंगली हुआहट चालू हो गई, जो जहां तक मेरी कल्पना रात के अंधेरे में अनुमान लगा पा रही थी, ऐसा लगता था कि पूरे देश से ही आ रही थी।

पहली हुआहट पर घोड़ों ने बिदकना और पीछे हटना शुरू कर दिया, लेकिन ड्राइवर ने उन्हें दुलारा तो वे शांत हो गये। हालांकि वे फिर भी काँप रहे थे और पसीने-पसीने हो गये थे, जैसे अचानक किसी लड़ाई से भाग कर आये हों।

फिर दूर पहाड़ों से हमारे दोनों तरफ से भेड़ियों के रोने का तेज़ और तीखा स्वर उठने लगा, जिसने घोड़ों और मुझ पर एक जैसा प्रभाव डाला— मेरा मन हुआ कि मैं बग्घी से कूद पड़ूँ और भाग जाऊँ, जबकि वे फिर से पागलों की तरह बिदकने और पीछे हटने लगे, कि ड्राइवर को उन्हें अपनी जगह बनाये रखने के लिये अपनी पूरी ताक़त लगानी पड़ी। हालांकि कुछ ही मिनटों में मेरे अपने कान इस आवाज़ के आदी हो गये, और इस बीच घोड़े भी शांत हो गये थे— क्योंकि ड्राइवर उतर कर उनके सामने जा कर खड़ा हो गया था।

उस उन्हें थपथपाया और सहलाया, और उनके कान में कुछ फुसफुसाया, जैसा मैंने घोड़ा साधने वालों को करते देखा है, और इस का असर असाधारण रूप से हुआ। उसके दुलारने से वे फिर से पूरी तरह क़ाबू में आ गये— हालांकि वे अब भी काँप रहे थे।

ड्राइवर फिर अपनी सीट पर बैठ गया, और अपनी लगाम हिलाते हुए बेहद तेज़ रफ्तार से बढ़ चला। इस बार, दर्रे के सुदूर छोर तक जाने के बाद, वह अचानक एक संकरी सड़क पर मुड़ गया— जो एक तीखे मोड़ से दायीं ओर मुड़ जाती थी।

क्रमशः

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