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एक थी सपना


 

"सपना मालिस वाली... बूढ़े को कर दे जवान और जवान को बना दे पहलवान... सपना मालिस वाली... सपना मालिस वाली..."
"देख रहे हो मुल्ला... गाड़ी मुँह पर धुँआ छोड़ क्या भौंक के गई है...?"
" हाँ..हाँ.. सुना...कोई तुम्हारी तरह बहरे भिंड नही हैं पंडे
"

क्रांति मच गई कस्बे मे... रोला-रप्पा... घाघ -टपोरी.. बीड़ू -बंडल... चुसनी-चंपा.. लोटा -लस्सन... हर तरफ फायर विथआऊट वायर भड़कने लगी

अनाउंस में बस सपना की मालिस थी... एक भी जगह उसके हुश्न के दावे नही किये गये.. लेकिन जमालपुर में बच्चे से लेकर बूढ़े की जुबान पर बस एक ही नाम का जाम तैरने लगा...सपना

सपना के हुश्न के स्वंयम्भू चर्खे चलने लगे... हर चर्चे में सपना स्थान पाने लगी... हर जुमला सपना की तंग चोली से शुरू होता और उसके ढाई बालिश्त के घघरे पर आ कर आँहें भरने लगता
लोग कहते सपना मेनका से भी हसीन है... कोई उसे साक्षात रति कहता... मेट्रिक फेल उसे किल्योपेट्रा बोलते और पोर्न नशेड़ी.. एनी डियोनि

मतलब हर भसेड़ी सपना को अपने हिसाब और अपने फ्लेवर से एडजेस्ट करने लगा... मुँहासे वाले लौंडों के लिये वो वाइल्ड 69 पोजिशन का कम्प्लीट एंटरटेनमेंट... धारदार खत पाले दाढ़ी वाले लौंडों के लिए वो ऊप्स पॉइजन.. ढलान पर खड़े युवा उसे एक्सपिरियन्स सेक्स बॉम्ब बोलते अधेड़ उसे मैग्नेटिक फील्ड क्रिएट करता कोई चुम्बक... सीनियर सिटीजन्स के लिये वो अबला परन्तु कामुक तबला... और पोपले बूढ़े...उसे देह घर्षण कामकोपल... मदमस्त स्वर्गीय श्रृंगार

मजे की बात यह कि सपना को अभी तक देखा किसी ने नही था... परन्तु शेखीबघारु और फेंकूँ दावा करते थे कि उन्होंने सपना के साथ काम पैंतीस भी कर लिया

जहाँ एक ओर पुरुष समाज.. सपना को अपने हृदय के गणतंत्र का प्रथम नागरिक मान चुका था... वहीं सपना महिला समाज हेतु गणतंत्र विरोध आंदोलन की लाल चिंगारी बन चुकी थी
पूरा जमालपुर जल रहा था और वजह थी वो सर्वशक्तिमान सत्ता जिसने मजहबियों और भक्तों की दैनिक दिनचर्या का शेडयूल तक बिगाड़ दिया था... देशी और अंग्रेजी के ठेके भी वो सुरूर पैदा नही कर सके जो महज सपना के किस्से कर देते... प्राइमरी पाठशालाओं से लेकर हायर कॉलेजेस में मास्टरों तलक की जुबान पर सपना का रस था

डॉक्टर्स सपना का गुप्त निःशुल्क चेकअप का इश्तिहार अखबारों में देने लगे... अखबार वाले चार पन्ने सपना को समर्पित कर चुके थे... वो सपना के चेहरे के अतिरिक्त बाकि तमाम उसके काल्पनिक अंग अखबार के सस्ते पन्ने में उकेर चुके थे... एक अखबार तो यहाँ तक दावा करने लगा कि उसने सपना का एक गुप्त वीडियो भी कैप्चर किया है जिसमें सपना तन पर सिर्फ मोजे पहन कर सोती हुई नजर आ रही है...सपना के एनिमेशन्स मोबाइल्स में आने शुरू हो चुके थे

आराध्यों ने जहाँ सपना को सुश्रुत और चरक से भी अधिक जस वाला बताया वहीं... कलंदरों-फकीरों ने उसे हुश्न ए मिश्र का पूरा नुजूम कह दिया

जमालपुर का हर नर जिस्म फड़फड़ा रहा था... और सरकारें भी इस अवसर पर खूब हरकतों में आईं... सुलभ सेवा दल के चीफ ने तो यहाँ तक दावा कर दिया कि सपना उनके समाज अथवा जाति से संबंधित है... उनकी बात का तुरन्त विरोध हुआ और ठोकू बैरागी अपना समाज दल के नेता सपना को इस बार जमालपुर से अपनी पार्टी से टिकट देने की बात भी बोल गये

प्रशासन सकते में था... जमालपुर पर पुलिस का फ्लैग मार्च आम सा हो गया.. पुलिस महकमे के आला अफ़सर तो यहाँ तक कह गये कि सपना उनकी पर्सनल कस्टडी से हो कर ही आगे सप्लाई होगी मतलब आगे का सफर तय करेगी

बरसों से अनशन विशेषज्ञ मास्टर आलोनाथ ने अपने अनशन की सारी जायज माँगों के पूरा होने पर भी अनशन नही तोड़ा... बल्कि घोषणा की... कि जब तलक बेटी सपना उनकी गोद मे आधा घंटा बैठ कर उन्हें आधा गिलास जूस नही पिलायेगी तब तलक उनकी नाजायज माँगे जारी रहेंगी

जमालपुर की आग में घी का काम करते थे बेवक्त की पैदाइश के बच्चे... बस्ती के हर घर की दीवार पर वो सपना के बायलॉजिकल काम क्रीड़ा के चित्र बनाते... दिलजले भारतीय मुद्रा की वाट लगाने लगे... और उसपर सपना बेवफा है टैग करने लगे ....

भंगेड़ी -गंजेड़ी लोग सिगरेट और चिल्लम को सपना समझकर चूसने लगे .... और हस्पताल में मियाद में लेटे मरीज यमराज के भैंसे में सपना का अर्धनग्न यौवन देखकर ग्लूकोज की लटकी बोतलों में खून छोड़ने लगे ....

जमालपुर में अजान और कीर्तन के जोर की जगह सपना का शोर फिजा में तैरने लगा .....इस बीच कपड़ों के व्यपारियों की चल पड़ी ...सपना नाम की विशेष लूँगीयां मार्किट में आने लगी ....लेकिन सबसे ज्यादा बाजार सँवारा सपना के नाम और चित्र की चादरों और तकियों ने

हांलकि अंडरगारमेंट्स की बिक्री में भी उछाल देखा गया ....सारे कॉन्डम्स सपना फ्लेवर ..सपना शो..सपना सीक्रेट ...सपना जोश के नाम से बिकने लगे ...

जमालपुर ने उस दिन बाढ़ सा अनुभव किया ...जब सपना से मालिस के टोकन ..चार हजार में 15 मिनट मालिस ....करके बाँटे गये... और नियत डेट और समय पर अपनी उपस्थिति न देने वालों को दुबारा मालिस सेवा हेतु नालायक घोषित किया गया

अखबारों में हर जगह सपना बिस्कट.. सपना गाढ़ा झाग वाली टिकिया ...सपना कच्ची घनी ...वाले एड थे .....लेकिन किसी भी जगह वो खबर जुबां तक में न ठहरी जहाँ सनसनी ये थी कि ....सपना की वासना में तैरते पुरुषों ने रिश्तों को किया तार -तार ..... जानवरों से सेक्स के किस्से सुर्खिया न बन पाए और घर के पालतू मादा जानवर खूँटा तुड़ा कर या तो भागने लगे या फिर अंडर ग्राउंड होने लगे ....मंगलसूत्रों की ताबड़तोड़ टूटती मालाओं का कहीं जिक्र तक न था .....खुल्ले आम गैंग रेप और उसके पश्चात हत्या ये रपटें तक कानूनी रजिस्टरों में न चढ़ सकीं.....

मीडिया का कैमरा ..और उसकी छतरी सपना की फिजिक और शौक से नीचे देखते ही नही थे ....फिल्मी डायरेक्टर्स सपना के जीवन पर फिल्में बनाने लगे ... रोजमर्रा की जिंदगी को ढोते टू व्हीलर्स सपना 180 ..360...और 420 सी. सी से नीचे कोम्प्रोमाईज़ ही नही करते .....

ट्रक वाले ट्रक के पीछे लिखी शायरियों में हमेशा सपना के दुपट्टे.. ब्लॉउज और पेटीकोट का जिक्र हमेशा करते ....लँगोट के कच्चे ड्राईवर इसके भी अंदर का सफर तय करने में बिल्कुल न हिचकते ।।।।

म्यूनसिपालटी के संडासों की दीवारों की पपड़ियां उखड़ने लगी और हर दीवार मर्दाना वीर्य की नई परत से और मजबूत होती चली गई ..... सपना मार्ग भी स्वीकृत हो गया और सपना की विशाल प्रतिमा हेतु स्थान भी आवंटित हो गया ........

जमालपुर का ये संक्रमण पड़ोसी राज्य में भी आग की तरह फैलने लगा .....ओनली सेक्स मॉय एकटिंग्स वाली फिल्मी नायिकाएं भयाकुल होने लगीं ....अभिनेताओं में होड़ थी कि सपना के साथ पहला बैड सीन वो ही देंगे..... पापा के डेब्यू स्टार्स पुत्र भी सपना के साथ लांच होने हेतु पापा की किडनी तक बेच देने को लालायित थे ....

जमालपुर की ये आग इससे पहले पड़ोसी इजारबंद धारक पुरुषों वाले मुल्क तलक पहुँचती ....कि वो दिन आ ही गया जब सपना अपने बेहद कोमल और नाजुक हाथों से कठोर और मक्कार पुरुषों के जिस्म की लोपड़ी उतारने वाली थी.....

धारा 144 लग चुकी थी .....लाइंस दो दिन पहले से ही बनती और बिगड़ती जा रही थी ...
इस देश की नियति देखें ....अगर जान देने की बात आये तो सैनिक आगे और कुछ लेने की बात आये तो नेता .......प्रदेश के मुख्यमंत्री पुरुषों की कतार में सबसे आगे खड़े थे ......

तभी अंदर से हूटर बजा

और माननीय ने गनर्स और सिक्योरटी को बाहर ही रहने का आर्डर दिया और सपना मालिसालय की सीढ़ियों को माथे से लगाकर अंदर प्रवेश किया.....

इस उबलती भीड़ जिसको क्राउड्स सुनामी का नाम दिया गया...और जिसपर सेना की सहायता के बिना नियंत्रण असम्भव सा प्रतीत हो रहा था ....जिसके लिए टुच्चे फकीर मुल्कों ने सैनिक सहायता की अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई .....वो भीड़ जो सपना के मालिसालय के बाहर खड़ी थी वो सब कुछ अपने अंदर समेट लेना चाह रही थी ......तभी दूर से तकते या फिर शायद अपनी बारी का इन्तेजार करते मुल्ला- पंडे की आवाज मेरे कानों से पुनः टकराई-

"क्या कहते हो मुल्ला .... बेचारी सपना बचेगी कि नही ....?"

"...न...न...कतई न छोड़ेंगे ये भसेड़ी ...ईमान से अपना लम्बर न आने का अब पंडे "

तभी मैंने देखा माननीय ....जितनी नजाकत से मालिसालय में घुसे थे उतनी ही तेजी से बाहर आये और चुपचाप अपनी लालबत्ती गाड़ी में बैठकर फुर्र हो लिए .......और फिर यही क्रम चलता रहा .......जो मुल्ले -पंडे अब तलक उम्मीद हारे जा रहे थे ..उनका भी नम्बर आया और वो भी ....'.राम -राम ....ला हौल बिला कुव्वत " कह कर मालिसालय से बाहर निकलर आगे बढ़ते गए ....मेरी उत्सुकता सातवें आसमान पर थी .....तभी मालिसालय के द्वार पर एक जनाना आकृति नजर आई जो चिल्ला ,-चिल्ला कर पब्लिक को रोक रही थी .....

" हाय -हाय ....अरे चिकने ...अरे सुन तो हीरो ...हाय-हाय "

पता किया तो ज्ञात हुआ कि ये ही सपना हैं ......

इस सदमें ने जमालपुर को तोड़ कर रख दिया इतना तक हुआ कि प्रदेश का राजकीय ध्वज भी 3 दिन तलक झुका रहा .....और 3 दिन का सरकारी अवकाश भी घोषित हुआ ......लेकिन जिंदगी ने फिर अपनी रफ्तार पकड़ी और जमालपुर पुनः पटरी पर लौट आया....लेकिन सपना सबकी जेबों की मालिस करके कहाँ गई जब ये ही सवाल मैंने एक साथ मुल्ला जनाब और पंडे महोदय से पूछा तो दोनों एक साथ बोले-

" दफा हो जा इहाँ से बेशर्म ..निर्लज्ज "

Written by Junaid pathan




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