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मजलिस

 


अरे बहन जरा तेज़ कदम बढ़ाओ , मजलिस शुरू हो जाएगी
बाजी क्यों इतनी तेज़ भागी जा रही हो ?
पहली मजलिस में भी एक घंटा पहले पहुंच गए थे
अरे मजलिस से पहले थोड़ा वक्त मिल जाता है लोगों से हाल-चाल ,सुख-दुख पूछने का
बहन यह कहो ना कि पड़ोसियों या रिश्तेदारों में कीड़े निकालने का वक्त ,
है है है अरे तुम भी ना बहन ,,,,

अरी यह कुलसूम कहां रह गई ?
ज़किया बाजी वह वापस भेजा है मैंने उसे घर पॉलिथीन लाने के लिए
वह क्या है ना मजलिस का हिस्सा रखने के लिए
कल मजलिस में मिला हिस्सा दुपट्टे में बांधा था तो दुपट्टा खराब हो गया था ।।
अरे मैं तो दो चार पॉलिथीन हमेशा पर्स में ही रखती हूं
और अब तो नया बुर्क़ा भी जेबों वाला ही खरीदा है
ठहरो जरा बड़ी खाला को तो ले लो ,,,
वह नहीं आएंगी बाजी उनका पेट खराब है ।
अरे बड़ी बी रात को बिल्कुल ठीक थीं , क्या हो गया ?
वो जावेद भाई के यहां रात मजलिस थी ना , वहां ज्यादा खा लिया
कह रही थीं दस्त लग गए हैं ।
चने की दाल रोटी उनको हजम नहीं होती जल्दी से
अरे मेरे मौला ,,,,
मैं तो कहती हूं ख्याल रखना चाहिए अपने पेट का
मैं तो 4 तंदूरी रोटियों से ज्यादा नहीं खाती ।

अब उनसे कहना खिचड़ी खाए एक दो टाइम
अरे बाजी अब घर में जो मजलिसों का इतना हिस्सा इकट्ठा हो जाता है उसे भी तो खत्म करना है कमबख्त खाना घर में बनाना ही कहां पड़ता है ।

उफ़्फो,, यह सैंडल भी ना फिर टूट गया ,परसो ही टकवाया था
अरे बीबी ऊंची हील सैंडल क्यों पहन कर आई हो ? हमारी तरहं हवाई चप्पल पहना करो सटर-पटर चाहे जितनी मजलिसों में दिन भर घूमते रहो  हे हे हे हे ।
लो ख़ाला जान आ गया मजलिस का घर , अभी तो सोसख़ानी की आवाज आ रही है
चलो टाइम से आ गए अरे उस कोने में चलो चपलें भी अपने पास रख लेंगे
कल फरीदा की चपलें चोरी हो गईं , कमबखत मारे मजलिस सुनने आते हैं या चोरी करने ?
अरे मेरे मौला ,,,,

फुफ्पो आदाब , कैसी हैं ।
अरे क्या बताऊं ज़किया बेटी ,यह घुटनों का दर्द जाता ही नहीं
चलना फिरना ही दूभर हो गया है बस मौला हिम्मत दे देता है तो आ जाती हूं मजलिस में ।
अरे फुफ्पो यह दर्द तो दम से ही जाएगा ।
क्या कहा कमबख्त ,,,,
अरे मेरा मतलब घुटनों पर दम करवाइए
अच्छा अच्छा चलो बैठो ,,
अरे मेरे मौला ,,,,,,

री ओ गुड़िया मोबाइल लाई है ना  ?
हां अम्मीं लाई हूं
चल ठीक है अभी रखे रह , जब मसाईब चल रहे हों सब रो रहे हों तो मिम्बर की तरफ से हटाकर मेरी भी रोते हुए वीडियो बना लीजो
ठीक है अम्मीं ।
अरे मेरे मौला ,,,,


अरे सुन सुन शन्नो यह कौन है ?जो सामने बैठी है
कौन वो , अरे वह तो तबरेज़ भाई की मिसेज हैं पिछले साल तो शादी हुई थी
अच्छा-अच्छा कई मजलिस में देखा है हर बार नया सूट होता है आज भी देखो कैसा ठसके के साथ बैठी हैं
पैसे वाले होंगे ,,  कुछ लोग तो हर साल मोहर्रम में दो चार नए काले सूट बनवाते हैं ।
एक हम हैं जो चिथड़ा मिला पहन लिया ।
अरे मेरे मौला ,,,,,
सही कहा ख़ाला , मौला का ग़म मनाने आए हैं ,कोई शादी में थोड़ी ना आए हैं ।

अरे बहन सोसख़ानी भी सुन लो ।
यह आजकल रुखसाना बी कहीं नजर नहीं आतीं बहुत अच्छी सोसख़ानी पढ़ती हैं ,
ऐल्लो , तुम्हें नहीं पता उनका लड़का सुन्नी लड़की कर लाया है , कोर्ट मैरिज करी है
बस आजकल नई बहू में मसरूफ हैं ।
चलो ठीक है बहन , अब हम एक और यज़ीदी को हुसैनी कर लेंगे ।
या मेरे मौला ,,,,,,

अरे बहनों खामोश हो जाओ सोसख़ानी हो रही है,।
सोसख़ानी तो हमारी बरेली में एक मुल्लानी जी पढ़ती हैं  ,अरे मजलिस से पहले ही रोने का समां बंध जाता हो जैसे
और ऐसे ही नौहें पढ़ती हैं , क्या आवाज दी है मौला ने
बिल्कुल फिल्मी गायिकाओं की तरहां
ए मेरे मौला ,,,,,

सही कहा बहन , हर एक नौहें नहीं पढ़ सकता परसों बड़ी चच्ची के यहां मजलिस में देखा है वह समीना की लड़की फटे बांस की तरह नौहे पढ़ रही थी
ना लय ठीक और ना ही अलफ़ाज़ ठीक थे
जब पढ़ना नहीं आता तो लोग उछलकर क्यों बीच में पढ़ने आ जाते हैं
आधे नौहे में ही " या हुसैन या हुसैन " करना पड़ जाता है ।

मौला किसी किसी को ही यह खासियत देते हैं ,,
अरे बाजी ऐसे ही मजलिस भी पढ़ने वाले मौलाना को ले लो
जब तक मजमें में किरया ना करवा दें , मसाइब पर पूरी मजलिस में रोने का समा ना बांधे वह भला कोई अच्छा मौलाना होता है ।
सही कहा बहन फ़ज़ाइल कौन सुनता है मजलिस तो मसाइब से ही बनती है ।
या मेरे मौला ,,,,

अरे ओ बच्चों शोर मत करो ,चलो बाहर जाकर खेलो
अरी ओ मेहराब कमबख्त मारी , हिस्सा बटने के वक्त कहीं बाहर मत चली जइयो
फिर बाद में रोती है कि हिस्सा नहीं मिला ,,
अरे बहनों खामोश मजलिस शुरू हो रही है ।।

अल्लाहो मसल्ले अला मोहम्मदन वआले मोहम्मद

Written by Nadeem Hindustani



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