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क्रश

 



"बहन जी! रेपिस्ट हूँ मैं... 14 लड़कियों का कर के आज भी अरेस्ट न हुआ... अब बोलो घूरोगी मुझे...सपने देखोगी मेरे?"
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गीतिका के घर पर!
"बहुत सुना है तुम्हारे बारे में कार्तिक... मुझे यकीन है तुम मेरी बेटी को खुश रखोगे!"
कार्तिक ने पहले पापा से पलभर के लिए आँख मिलाई... फिर मुझे घूर कर बोला-
"सर खुश तो रखूँगा..., लेकिन बता दूँ... मैं शराब पीता हूँ और वो भी हद से ज़्यादा... नशा मेरी जिंदगी है... और किसी भी कीमत पर मैं नशे को नही छोड़ सकता
"

मेरे पैरों के नीचे से जैसे जमीन सरक गई... लगा जैसे मैं जमीन पर औंधे मुँह गिर गई... 4 साल के इस रिलेशन में कार्तिक ने कभी बताया ही नही... या उसने कभी लगने ही नही दिया कि वो ऐल्कॉहॉलिक है.. नशेड़ी है... पापा कुछ नही बोले.. .बस ड्राइंग रूम से उठकर चले गये... मैं भी खामोश थी... कार्तिक भी चुपचाप अपनी सीट से उठा और जाने लगा-
"कार्तिक रुको... कहाँ जा रहे हो?"
"मुझे लगता है गीतिका... कि अब तुम्हारे पापा ये रिलेशन कभी एक्सेप्ट नही करेंगे
"

"ओह्ह ...डैमिट ...आज तक मुझे क्यों नही बताया ..और अगर ये सच भी है तो सीधे पापा से क्यों बोल दिया ...?.मैं कैसे भी करके मैनेज कर लेती ....आई लव यू कार्तिक ....आई लव यू "
दो आँसू मेरी आँख में भी थे ...जिंदगी बन गई थी गीतिका मेरी ...मेरी ममा के बाद अगर मुझे किसी ने समझा तो वो गीतिका ही थी ... इतना प्यार शायद ही मुझसे कभी कोई और लड़की करेगी ....मैं चुपचाप गीतिका के घर से बाहर निकला और एक ऑटो को हाथ दिया .....
" अरे भैया ... एक्सप्लोर रोड जाओगे?"
ऑटो वाले ने हाँ बोला ...और मैं ऑटो में बैठ गया .... लगातार फोन बज रहा था ...गीतिका मुझसे बात करना चाह रही थी ....बहुत सवाल थे उसके पास ...लेकिन मेरे पास सिर्फ एक ही जवाब था ..... कुसुम गोल्डा
"

कुसुम गोल्डा ...हमारी टेम्परेरी न्यू पॉलिटिकल टीचर ...ऑटो एक घर के सामने रुका ..मैंने ऑटो का किराया देकर .. डोर बेल दी ~
"व्हाट दा हेल ....तुमने गीतिका के घर पर ... यू आर ऐल्कॉहॉलिक ...व्हेन एंड व्हेर ...बोलो...कार्तिक आई एम योर फ्रेंड... इडियड वो तुझसे ट्रू लव करती है ...तूने उसके साथ ..."
"छोड़ न...,अपना सामान लेने आया हूँ आज से मैं कॉलेज हॉस्टल में रहूँगा....थैंक्स राहुल तूने इतना टाइम अपने घर में जगह दी
"

जब मैं अपना लगेज पैक कर रहा था राहुल चुपचाप मुझे देख रहा था...जब मैं लगेज लेकर डोर पर पहुँचा.....तभी राहुल बोला-
"एक एजेड डाइवोर्स औरत के लिये तूने प्यार और दोस्ती सबको मिट्टी में मिला दिया...हरामजादे सिर्फ इस बात का जवाब देता जा ...कि तूने गीतिका के साथ ऐसा क्यों किया.... वो भी एक ऐसी औरत के लिये
"

आव देखा न ताव मैंने एक करारा तमाचा राहुल के गाल पर जड़ दिया...और फिर उसका रियेक्शन देखने तक न रुका
फोन ऑफ किया और फिर एक ऑटो को हाथ दिया .....ऑटों कॉलेज होस्टल की ओर जा रहा था और मैं फ्लैश बेक में !
जिंदगी में एक इंसान को क्या चाहिये ... एक अच्छी फैमली ...एक ब्यूटीफुल गर्ल फ्रेंड ..एक सच्चा दोस्त ...सब कुछ था मेरे पास लेकिन फिर मेरी जिंदगी में आया वो मोड़ ...जिसे लोग लाइफ का टर्निंग पॉइंट बोलते हैं .....
कुसुम गोल्डा ....मैंने टीचर्स से लव और क्रश की बेशुमार फिल्में और कहानियाँ देखी -पढ़ी हैं ...लेकिन जब मुझपर गुजरी तो जाना प्यार ..कभी भी ...कहीं भी ...किसी भी मोड़ पर हो सकता है और इसका कोई लिमिटेड करिकुलम भी नही होता ...
कुसुम गोल्डा ... मेरी जिंदगी की वो पहली औरत थी ...जो औरत जैसी होने के बाद भी हर औरत से जुदा थी ....जिसमें बेशुमार एट्रेक्शन था ...जो उम्र में मुझसे तकरीबन 25 साल बढ़ी थी ...जो सिर्फ कैमियो सूट पहनती थी ...जिसकी जुल्फें लम्बी नही लेकिन घनी थी ...उसकी जुल्फों का रंग काला नही बल्कि कुछ सफेद भी था ...जो इतनी शोखी और अदाओं से बोलती थी कि उसके होंठ गर्म चाकू पर पिघलता मक्खन दिखाई देते थे ... जो गुलमोहर के फूल सी रंगत गालों में लेकर चलती थी ..जिसकी कमर शातिरों की नजर भी सीधी कर देती ...मेरी बगल से गुजरी जैसे कोई आफत ..जैसे कोई सुनामी बेशुमार खुशबू लेकर मेरे करीब से गुजरी ....

मैं उसका हो गया था ...शायद वक्त के काँटों को भी ये पता नही था कि मैंने चार साल की अपनी कट्टर मुहब्बत उसके कदमों पर वार दी .....

अब हर पल मैं उसको सुनता ...अब हर वक्त मैं उसको तकता ...24 घण्टे वो औरत मेरे दिमाग और दिल में लगातार प्रोटेस्ट करती ....मैं उसके रूप ..उसकी अदाओं का गुलाम बनता जा रहा था ....,हर वक्त उसके पास बने रहने का मौका तलाशता ....
इस उधेड़बुन में ..जहाँ गीतिका मुझसे दूर होती चली गई ...वहीं मैंने अपनी दोस्ती का मजमा भी ढेर कर दिया .....एक दिन
" मैम ...वो ..."
" हाँ बोलो न ...प्लीज कार्तिक से "
" कुछ नही मैम ...बस ऐसे ही .....थैंक्स मैम"
मेरी आँखें शायद कुसुम गोल्डा पढ़ने लगी थी ....उसने मुझे छुप-छुप के उसे देखते भी देख लिया था ....वो फिर भी रिलेक्स थी ....और मैं उतना ही अशांत !
मैंने हर बात कुसुम गोल्डा के बारे में पता लगा ली थी ...और इसमें मेरी मदद की राहुल ने.. उससे मुझे कुसुम गोल्डा के डाइवोर्स के बारे में भी पता चला.....और ये भी कि सिर्फ 2 साल शादी के बंधन में रहने पर वो अपने पति से अलग हो गई और उसकी कोई संतान नही थी ....
कुसुम गोल्डा की जो चीज मुझे उसकी तरफ तेजी से खींच लाई वो थी उसकी इंटेलीजेंसी ... हर बात का जवाब था उसके पास ... लेकिन अगर मैं उससे कहूँ कि आई एम फॉल इन लव मैम ...तब उसका रिप्लाई क्या होगा ...मुझे कुछ भी खबर नही थी .....
लेकिन फिर आया वो दिन जब मुझे हरी झंडी मिलनी शुरू हुई ...कुसुम गोल्डा भी मुझे देखकर मुस्कुराहने लगी ...और इसे देख मेरी हिम्मत बढ़ने लगी ...और फिर आया वो दिन ~
" मैम ..म..मेरे साथ कॉफी पीएँगी आज शाम ....?"
" रिलेक्स कार्तिक ...मैं तैयार हूँ ..होटल डायमंड ...मैं तुम्हारा 6 बजे वेट करूँगी ..."
निकल पड़ी मेरी ....उस दिन मैं इतना खुश था कि मुझे पता ही नही चला कि मेरे जीवन में एक और कहानी भी चल रही है ~
" ये क्या मजाक है कार्तिक ...न फोन रीसिव कर रहे हो न मैसेजेस के रिप्लाई कर रहे हो ....क्या हुआ है तुमको ...?"
मैंने गीतिका को इधर-उधर की बाते करके टरका दिया लेकिन जो उसके पीछे खड़ा था ...उससे मैं आँखें नही मिला पा रहा था ....राहुल सब जानता था लेकिन मैं सिर्फ इतना जानता था कि मुझे आज सज -संवर के ठीक 6 बजे डायमंड होटल मैं पहुँचना था .....
ग्लो और स्लो म्यूजिक चल रहा था ...और मैं धीमे -धीमे सामने रेड गाउन में बैठी कुसुम गोल्डा को तक रहा था .....लेकिन वो मुझे नही बल्कि गुस्से से हमारे बगल की टेबल पर बैठी उस लड़की को घूर रही थी जिस लड़की की नजरें सिर्फ मुझ पर टकटकी लगाए हुए थी .....
" कार्तिक मुझे लगता है मैं यहाँ खाली आई ...मैं जा रही हूँ... "
हड़बड़ा गया मैं ...और पूछ बैठा ~
" क्या ..क्याया.. हुआ क्या है ..?"
" वो लड़की तुम्हे कब से घूर रही है और तुम्हे कोई फर्क नही पड़ता ...जाओ उसको स्ट्रिक्ट रिप्लाई करो !"

मैं सकपका गया ..ये सब कुछ नॉर्मल है ..लेकिन कुसुम गोल्डा को ये एब्नार्मल क्यों लगा ...कुसुम ने मुझे फिर आर्डर दिया और मैं न जाने क्यों उसका प्रेमी उसका सर्वेंट बन गया ~

" बहन जी ! रेपिस्ट हूँ मैं ...14 लड़कियों का कर के आज भी अरेस्ट न हुआ ...अब बोलो घूरोगी मुझे ...सपने देखोगी मेरे ..?"
मेरे इतना कहते ही वो लड़की शर्म से पानी-पानी हो गई ..और कुसुम गोल्डा ने एक जोर का ठहाका लगाया ...और फिर खड़े होकर मुझे सबके सामने मेरे गालों पर किस कर लिया ...मैं शॉक्ड था लेकिन बहुत अच्छा फील हुआ ....
होटल के बाद हम अँधेरी सूनी सड़क पर थे ...और मैंने कुसुम का हाथ पकड़ लिया ....हम दोनों दूर तक एक दूसरे का हाथ पकड़ कर चलते गए ....और हर कदम में प्यार गहरा और गहरा होता गया .....
एक रात कुसुम ने मुझे अपने घर खाने पर इनवाइट किया ...उस दिन मैंने थोड़ा ड्रिंक भी कर ली ...कुसुम के कहने पर ..मैं मदहोश हो गया ..सामने बेहद ही छोटे कपड़ो में कुसुम कोई गीत गुनगुना रही थी ...मैं जाकर उससे लिपट गया और उसके कान को चूमकर हौले से बोला ~
" आई वांट सेक्स विथ यू कुसुम "
कुसुम पलटी और मेरे गाल पर एक करारा तमाचा मारा उसने ..मुझे घर से बाहर निकाल दिया ......और चिल्ला कर बोली ~
" साले उस लौंडिया से भी यही बोला होगा तूने ...जानती हूँ मुझे चीट कर रहा है तू ...गीतिका ..हाँ गीतिका शादी कर रहा है न तू उससे...सब पता चल गया है मुझे "
मेरे पास कोई जवाब नही था ...लेकिन अगले ही दिन मैंने गीतिका के फादर से झूठ बोला कि मैं नशेड़ी हूँ ...और चार साल के रिश्ते की चार पल में चिता जला दी .....ऑटो कॉलेज होस्टल में रुका ....मैंने समान कॉलेज हॉस्टल रूम में ड्राप किया और अपने ब्रेकअप की खबर सुनाने मैं सीधे कुसुम के घर की ओर गया ......जैसे ही मैं उसके घर के पास पहुँचा..और मैंने डोर बेल दी ~दरवाजा नही खुला ...मैंने फिर बेल दी
..और न जाने कितने बार बेल दी ...लेकिन कोई रिस्पॉन्स नही ..मैंने कॉल लगाई लेकिन मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा था ...
गोल्डा न जाने कहाँ चली गई थी ...कॉलेज में भी किसी को कुछ पता नही था .... तीन महीने बीत गए ...लेकिन गोल्डा का कुछ पता नही चला .... मैं टूट गया था ...मेरी जिन्दगी से हर रंग उतर चुका था ... इस बीच राहुल ने गीतिका को सहारा दिया और फिर वो गीतिका का हमसफ़र बन गया ...... मैं सब कुछ खो चुका था पागलों की तरह मैंने गोल्डा को ढूँढा ...लेकिन वो कहीं नही मिली ....मैं पागल सा होने लगा ...मेरा सब कुछ लुट चुका था ....मैं अव्वल नम्बर का नशेड़ी बन चुका था... मेरी हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि मुझे मेंटल असायलम में भर्ती करवाना पड़ा ...मेरी जुबान ऐंठ गई ..और मेरी ऐच्छिक क्रियाओं में भी मेरा नियंत्रण समाप्त हो गया ....
लेकिन अब भी सिर्फ एक चेहरा मेरी आँखों में बसा था ....वो चेहरा जिसको देखकर ही मेरा सब कुछ बर्बाद हो गया ...वो चेहरा जो मुझे इस सूने ..उजाड़ मगर शोरगुल से पटे पागलों के इस नरक में ले आया ...वो चेहरा जो इस वक्त मेरे सामने खड़ा था मेरे दोस्त राहुल के साथ ...वो चेहरा जिसकी आँखों मे मक्कारी साफ-साफ दिखाई दे रही थी ...वो चेहरा जिसने मुझे किश्तों में बर्बाद कर दिया ...वो चेहरा जिसे राहुल अपनी माँ बोल रहा था .....वो चेहरा.. वो कद जो उसके बाप की पहली पत्नी थी ..वो कुसुम गोल्डा जिसने सिर्फ गीतिका को मुझसे छीनने के लिए ये सब स्वांग रचाया ...,वो गीतिका ..जिसे मेरा दोस्त पाना चाहता था .....
किसी ने कहा है ~ " एव्री थिंग फेयर इन लव एंड वॉर "
लेकिन जो प्यार अपनी माँ की इज्जत और सम्मान को भी दाँव पर लगा दे ...उसको मैं प्यार नही बल्कि भूख कहूँगा ...और जो माँ अपने बेटे की खुशी के लिए किसी और के बेटे को एक नॉर्मल इंसान से पागल बना दे वो माँ ...माँ नही सिर्फ एक गाली होती है .....
लेकिन अब सच ये है कि एक क्रश ने मुझसे मेरा सब कुछ छीन लिया है..... और इसी सच के साथ मुझे अब ठीक होने के बाद भी पागल बनकर जीना पड़ेगा या फिर एसे ही मरना ..लेकिन इन सब के बीच वो लड़की जो उस दिन डायमंड होटल में मुझे घूर रही थी ..आज भी घूरती है ....शायद वो मुझसे कुछ कहना चाहती है

Written by Junaid Pathan

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