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ड्रैकुला 1

 


नोट: यह उपन्यास कथात्मक नहीं है, बल्कि इसे डायरियों, पत्रों, समाचारपत्रों की कतरनों इत्यादि के रूप में लिखा गया है, इससे इसे अजीब सी विश्वसनीयता मिलती है और पाठक स्वयं को उसी कालखंड में खड़ा पाता है, जब ये कहानी चल रही होगी। आनंद लीजिये।


जोनाथन हार्कर की डायरी
(शॉर्टहैंड में लिखी हुई)

3 मई, ब्रिस्टिज़

शाम 8:35 को म्यूनिख से चला और अगली सुबह जल्दी ही विएना पहुँच गया।

पहुँच तो 6:46 बजे ही जाना चाहिये था, लेकिन गाड़ी एक घंटा लेट थी। बुडापेस्ट अद्भुत जगह है, गाड़ी से मैंने इसकी जितनी भी झलक पाई है, और कुछ मैंने सड़कों पर चहलकदमी करते हुए देखा है। मुझे स्टेशन से ज़्यादा दूर जाने में डर लगा, क्योंकि हम देर से पहुंचे थे और हमें जितना मुमकिन हो— ठीक समय पर निकलना था।

मेरी धारणा यह थी कि हम पश्चिम से निकाल कर पूर्व में प्रवेश कर रहे हैं। डेन्यूब के शानदार पुलों में से सबसे पश्चिमी, जिसकी लंबाई और चौड़ाई काफी विस्तृत है— हमें तुर्की शासन परम्पराओं के दर्शन कराता है।

हम काफी देर से निकले, और रात घिरने के बाद ही क्लॉज़ेनबर्ग पहुँच पाये।

यहाँ मैं रात में होटल रोयाल में रुका।

मैंने शाम के, या कहना चाहिये कि रात के खाने में एक चिकेन लिया, जो किसी तरीके से लाल मिर्च में पकाया गया था, जो बेहतरीन था, लेकिन तेज़ था, (याद॰- मीना के लिए इसकी विधि पता करनी है)— मैंने वेटर से पूछा, और उसने बताया कि इसे “पैपरिका हंडी” कहते हैं और यह, कि यह एक राष्ट्रीय पकवान है। मुझे यह कार्पेथियंस में कहीं भी मिल जायेगा। यहाँ जर्मन का मेरा अल्प-ज्ञान बहुत कारगर सिद्ध हुआ, जाने इसके बिना मैं बात-चीत कैसे कर पाता।

लंदन से निकलने से कुछ समय पहले मैंने ब्रिटिश संग्रहालय का दौरा किया था, और पुस्तकालय में ट्रांसिल्वेनिया के बारे में पुस्तकों और मानचित्रों में खोज की थी। मुझे लगा था कि किसी देश के बारे में कुछ पूर्व-ज्ञान वहाँ के किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति से बात-व्यवहार में बहुत काम आता है। मुझे पता चला कि जिस ज़िले का उसने नाम लिखा था, वह देश के सुदूर पूर्व में, बिलकुल तीन राज्यों, ट्रांसिल्वानिया, मोल्डाविया और बुकोविना की सीमा पर कारपेथियाँ पहाड़ों के बिलकुल बीचों-बीच स्थित है— जो यूरोप का सबसे जंगली और कम प्रसिद्ध इलाका है।

मुझे ड्रैकुला के महल की ठीक-ठीक स्थिति बताने वाला कोई नक्शा नहीं मिल सका क्योंकि इस देश का ऐसा एक भी मानचित्र नहीं मिला, जिसकी हमारे अपने आर्डनेंस सर्वेक्षण मानचित्रों से तुलना की जा सके— लेकिन मैं ने पाया कि ब्रिस्टीज़, पोस्ट शहर जिसका काउंट ड्राक्युला ने ज़िक्र किया था, काफी प्रसिद्ध स्थान है। मैं यहाँ कुछ नोट्स लिखूंगा, ताकि मैं जब मीना से अपनी यात्रा का वर्णन करूँ तो वे मेरी याददाश्त को ताज़ा कर सकें।

ट्रांसिल्वानिया की जनसंख्या में मुख्य रूप से तीन जातियाँ हैं— दक्षिण में सैक्सन, जिनमें वैलाचों की जनसंख्या भी मिलीजुली है, जो डेसियाइयों के वंशज हैं। पश्चिम में मैगयार तथा पूर्व तथा उत्तर में जेकेली। मैं जेकेलियों के बीच जा रहा हूँ, जो अत्तिला और हूणों के वंशज होने का दावा करते हैं। ऐसा हो भी सकता है, क्योंकि जब मैगयारों ने ग्यारहवीं शताब्दी में देश पर विजय पाई थी, उन्होंने पाया था कि यहाँ हूण बसे हुए थे।

मैंने पढ़ा था कि घोड़े की नाल के आकार के कार्पेथियन के घेरे में दुनिया भर के अंधविश्वास सिमट आये हैं, जैसे यह कोई कल्पना का भँवरजाल हो। अगर ऐसा है तो यहाँ ठहरना काफी दिलचस्प रहेगा, (याद॰, मुझे इसके बारे में काउंट से पूछना है)।

मैं ठीक से सो नहीं सका, हालांकि मेरा बिस्तर काफी आरामदायक था— लेकिन मुझे तरह तरह के अजीब सपने आते रहे। मेरी खिड़की के नीचे पूरी रात एक कुत्ता रोता रहा, जिसका इनसे कुछ संबंध हो सकता है। या शायद मिर्च का असर रहा होगा, क्योंकि मुझे अपनी सुराही में मौजूद सारा पानी पी जाना पड़ा था, और फिर भी मेरी प्यास नहीं बुझी थी।

मैं सुबह के करीब किसी समय सोया था और दरवाजे पर निरंतर होती दस्तक से मेरी आँख खुली, तो मेरा अंदाज़ा है कि उस समय मैं बहुत गहरी नींद में था।

नाश्ते में मैंने और भी मिर्च, एक क़िस्म का मक्के के आटे का दलिया, जिसे वे “मामालीगा” कहते थे और क़ीमा भरे बैगन खाए, जो बहुत लज़ीज़ पकवान था, जिसे वे “इंप्लेटाटा” कह रहे थे, (याद॰, इसकी भी विधि पता करनी है)। मुझे जल्दी-जल्दी नाश्ता करना पड़ा क्योंकि गाड़ी छूटने का समय आठ बजे से कुछ पहले का था, या यूं कहें कि होना चाहिये था— क्योंकि 7:30 बजे दौड़ते-भागते स्टेशन पहुँचने के बाद मुझे लगभग एक घंटा गाड़ी में बैठे रहना पड़ा, तब कहीं जा कर गाड़ी छूटी।

लगता है, जितना हम पूर्व की ओर बढ़ते जाते हैं, गाडियाँ लेट-लतीफ़ होती जाती हैं। चीन में इनका क्या हाल होता होगा।

क्रमशः

Translated by Mumtaz Aziz Naza


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