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बाँझ

 


आज रहमत बहुत खुश था , उसकी बीवी शन्नों ने खबर ही ऐसी सुनाई थी
वह बाप बनने वाला है ,यह सोचकर उसके पांव जमीन पर नहीं पढ़ रहे थे शादी के 8 साल बाद उसकी शन्नो उम्मीद से है ।
मां-बाप और बड़ा भाई भाभी भी उसकी खुशी में शामिल थे
सब ने बधाई दी थी , शन्नों के लिए तो उसके दिल में इतना प्यार उमड़ रहा रहा था कि बस पूछो नहीं ।

यही शन्नों जिसको कल तक शौहर का ग़ुस्सा और तिरस्कार , सास की खरी-खोटी सुनने को मिलती थी
कई सालों से ससुराल वालों के ताने सुन सुनकर हलकान रहती थी
बांझ होने का तमगा उसे कई बार मिल चुका था ।
आज उसे पलकों पर बैठाया जा रहा है
रहमत पिछले कई सालों से बाप बनने के लिए छटपटा रहा था
सब कोशिशें कर डाली थी दोस्त और रिश्तेदार जिस तरह बीवी के साथ हमबिस्तर होने के नए-नए टाइम टेबल और तरीके बताते रहे उसमें सब किए
अपने लिए कोई ताकत की दवाई नहीं छोड़ी ।
ख़ुदा की बारगाह में माथे भी फोड़े , नमाज़ , रोजा और दुआओं के सारे रास्ते छान डाले ,
टोना टोटका भी करा लेकिन कोई हिकमत कोई दुआएं काम नहीं आई थी
जिंदगी की कशमकश में 1 दिन किसी जानकार ने एक पीर की मजार पर किसी करिश्माई बाबा का पता बताया था ।
सब कहते हैं उन बाबा ने कितनी सूनी गोदों को आबाद किया है
रहमत फ़ौरन शन्नों को लेकर मज़ार वाले बाबा के पास गया था
पीर बाबा काफी पहुंचे हुए थे , झाड़-फूंक टोटका और ऊपरी हवाओं के माहिर थे ।
शन्नों को देखते ही उन्होंने कह दिया था , इस लड़की के ऊपर एक जिन्नात का साया है जो इसे मां बनने से रोक रहा है
जब तक वह इस पर चढ़ा बैठा है तू बाप नहीं बन सकता इसका झाड़ा लगाना पड़ेगा
रहमत को बाबा के चेहरे से निकल रहे नूर में अल्लाह नजर आ गया था
अब उसे यकीन हो गया था कि अल्लाह ने ही उसे इस बाबा के पास भेजा है ।
तो अब क्या करना होगा बाबा रहमत गिड़गिड़ाया था
अब तू सब कुछ मेरे ऊपर छोड़ दे , इस लड़की को 3 दिन तक मजार पर रुकना होगा
जिन्नात बहुत जिद्दी है , बाबा आंखें मूंदकर बोला
मग़रिब के बाद हम इलाज शुरू करेंगे , जिन्नात रात को ही हमसे मुलाकात करते हैं
मुझे उसी वक्त उसे पकड़कर पूछताछ करनी होगी और तेरी बीवी के अंदर से निकाल कर उसे खत्म करना होगा
बाबा अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए शन्नो की तरफ देख रहा था ।
जैसा आप सही समझें , यह कहकर रहमत अपनी शन्नों को मजार पर छोड़ आया था ।
दिन में वह मज़ार पर जाता था लेकिन शन्नों से नहीं मिल पाता था
बाबा का कहना था इलाज के दौरान शन्नों का जिन्न निकल कर कहीं तेरे ऊपर ना चढ़ जाए
इसलिए शन्नों बाबा के हुजरे में ही रहती थी ।

3 दिनों के बाद शन्नों का इलाज पूरा हो गया था
बाबा ने अपनी रूहानी ताकतों से जिन्नात को शन्नो के जिस्म से निकाल दिया था ।
लेकिन यह सब कुछ बंद कमरे में हुआ था
रहमत को इस इलाज के बारे में कुछ मालूम नहीं हुआ था

और इलाज के अगले महीने ही शन्नों का पांव भारी हो गया था ।
यह सब मालूम करने के लिए रहमत के दिमाग में भी नहीं आया था
क्योंकि बाप बनने की खुशियां उसे बादलों के पार पहुंचा रही थीं ।

लेकिन शन्नो अपने रहमत की इस परवाज़ की असली वजह जानती थी
पीर बाबा के बंद कमरे मैं उसका क्या इलाज हुआ था यह बस उसको पता था
बाबा ने उसे जब कुछ पीने को दिया था तो उसे बेहोशी के आलम में भी यह एहसास हो रहा था कि धीरे-धीरे उसके जिस्म से कपड़े अलग हो रहे हैं ।
जिन्नात भगाने के लिए , एक अल्लाह के हाथों बनाया गया जीता जागता जिन्नात उसके जिस्म को रौंद रहा था

एक हवस उस वक्त टोने-टोटके का काम कर रही थी वह समझ रही थी कि किसी जिन्नात को उसके जिस्म से निकाला नहीं जा रहा ,बल्कि एक जिन्नात को उसके जिस्म में डाला जा रहा है ।
दूसरे दिन की रात को शन्नों ने खुद बेहोश होने वाली दवाई पीने से मना कर दिया था ।
उसने बाबा से कहा जो करना है मेरे होशो हवास में कर लो
बाबा इस बंद कमरे में मेरा क्या इलाज हुआ है , मैं मरते दम तक किसी को नहीं बताऊंगी ।
बाबा की आंखों में चमक आ गई थी और वह इस दुनिया में एक नई रुह को लाने के लिए फिर जिस्म ओ जान से लग गया था ।

आज शन्नों मां बनने के बाद सोच रही थी कि वह नापाक हो गई है ,या समाज द्वारा दिए गए मां बनने के औहदे से सुर्खरू ।
क्या इस समाज में जीने का यह सही तरीका है ?
दिन-रात के ताने और बांझ शब्द सुनने से क्या इस तरह अपने आप को बचाने का यह कदम सही है ?
उसने यह सब सोचना बंद कर दिया था ।

वह अपने शौहर और ससुराल वालों की खुशियों में खुद को शामिल कर चुकी थी
और उसे सबसे ज्यादा इस बात की खुशी थी कि उसके ऊपर से बांझ का कलंक उतर गया था ।

Written by Nadeem Hindustani

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